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खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

घोसी हारने के बाद भी नही लिया सबक

बाहरी प्रत्याशी को जनता ने फिर नकारा

सूरज जायसवाल 

आजमगढ़। उपचुनाव मे मिली करारी हार के बाद भी भाजपा ने इस पर सबक नही लिया। इसके चलते उसे एक बार फिर हार का मुंह देखना पढ़ा। पार्टी द्वारा थोपे गये दल-बदलू उम्मीदवारों को इस बार भी भाजपा मतदाताओ ने नकार दिया। उपचुनाव मे 13 मेसे भाजपा के खाते में सिर्फ दो ही सीटे आई। सात राज्य के 13 विस सीटों पर हुए उपचुनाव मे बीजेपी ने अपने 11 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमे 6 दल-बदलू को भी मौका दिया गया था। 



बीजेपी ने उत्तराखंड के बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस के बागी को उम्मीदवारी दी थी। यहां राजेन्द्र सिंह भंडारी को जनता ने वैसे ही नकारा जैसे घोसी मे दारा सिंह चौहान को नकार दिया गया था। कांग्रेस विधायक रहते भंडारी पद को त्याग कर कमल खिलाने उपचुनाव मे कूदे हुए थे। दलबदलू भंडारी को जनता ने घोसी वाली स्टाइल से निपटाया। इसी के साथ ही कई और दलबदलू उम्मीदवार को भी भाजपाइयों ने नकार दिया। इसके चलते भाजपा को इस बार 9 और सीटें गवानी पढ़ी। विरोधी उम्मीदवारों के पक्ष मे 9 प्रतिशत वोट बढ़ना भाजपा उम्मीदवार के प्रति नराजगी देखी गई। नकारा और दलबदलू प्रत्याशी के चयन से ही भाजपा को यह सब दिन देखना पढ़ रहा है। लोकसभा चुनाव में 110 दल बदलू नेताओ पर भी भाजपा ने भरोसा किया था, जिसमे सिर्फ 41 ही जीत सके। इसके बाद भी उपचुनाव मे बीजेपी ने 6 दलबदलू नेताओ पर भरोसा किया था। बाहरी के साथ ना पंसद उम्मीदवार के लिए भी भाजपा समर्थक लोकसभा चुनाव अपनी रूची नही दिखाई। इस लिए ही हर बूथों पर मतदान प्रतिशत गिर गया, जो भाजपा के नुकशान दायक साबित हुआ। 13 सीटों के आये नतीजो से विरोधी गदगद है। अब उनकी नजर यूपी उन 10 सीटो पर है जहा अब उपचुनाव होने है। भाजपा संगठन जमीन पर उतर कर उम्मीदवारों को परख रही है। 2027 को ध्यान मे रख कर बीजेपी इस उपचुनाव के लिए नई रणनीती बना रही है। इस लिए ही सीएम योगी कार्यकर्ताओ का मनोबल भी बढ़ा रहे है।