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खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

रक्तदान महादान, भारत पैरा मेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं ने किया रक्तदान

ब्लड डोनेट करना पुरी तरह सुरक्षितः डा. बीएन दूबे

बरदह। आईएम की ओर से जौनपुर में गुरूवार को रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान आजमगढ़ के ठेकमा स्थित भारत पैरा मेडिकल कालेज के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रक्तदान कर लोगों से भी महादान करने का आह्वान किया।  
 कार्यक्रम की शुरूआत ब्लड बैंक के वरिष्ठ चिकित्सक डा. बीएन दूबे ने किया। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं को ब्लड बैंक के कार्य करने के तरीकों के अलावा रक्तदान के फायदे के बारे में बताया। साथ उन्हें आरबीसी, प्लेटलेट, डब्लूबीसी सहित अन्य जानकारियां दी। कहा कि रक्तदान करने से रक्त पतला होता है, जिससे दिल की सेहत में सुधार होता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ब्लड डोनेट करने से कैंसर और दूसरी बीमारियों का जोखिम कम होता है। ब्लड डोनेट करने से बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकल जाता हैं। इससे डोनर का बोन मैरो नए रेड सेल्स बनाता है। नए रेड सेल्स बनने से बॉडी हेल्दी रहती है। ब्लड डोनेट करना पूरी तरह सुरक्षित है। डोनर जितना ब्लड डोनेट करता है. मानव शरीर में 21 दिनों में फिर से खून बन जाता है। हालांकि 24 से 72 घंटे में खून बन जाता है। इस दौरान भारत पैरा मेडिकल कालेज ठेकमा के डीएमएलटी फाइनल के छात्र-छात्राओं में किशन प्रजापति, लक्की यादव, मनीष, नेहा विश्वकर्मा, दीपा, खुशहाली, मनीषा, साक्षी सहित लगभग 50 से ऊपर छात्र-छात्राओं ने रक्तदान किया। अंत में भारत पैरा मेडिकल के डायरेक्टर डा. एमएन प्रजापति ने कहा कि एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 साल के बीच है वो रक्त दान कर सकता है। शरीर 24 घंटों में डोनेट किए गए ब्लड की पूर्ति कर लेता है। ब्लड डोनेट करने के 35 से 40 दिनों के बाद खून नए सिरे से बनने लगता है। उन्होंने कहा कि आगे भी हमारा कालेज इस तरह के आयोजन करता रहेगा।