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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

मौसम की सटीक जानकारी देगा डाप्लर रडार

हर 15 से 20 मिनट पर अपडेट होगी मौसम की जानकारी
डाप्लर रडार की जद में होगा 400 किमी का एरिया

आजमगढ़। जिले में मौसम विज्ञान केंद्र न होने से काफी दिक्कते होती है। मौसम की सही जानकारी नहीं मिलती है तो वहीं आपदा के दौरान जन व धन हानि पर भी लगाम नहीं लग पाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योकि शासन ने जिले में मौसम की सटीक जानकारी के लिए डाप्लर रडार लगाने का निर्णय लिया है। जल्द ही इस रडार को जिले में स्थापित करने की कवायद पूरी की जाएगी।

केंद्र व प्रदेश सरकार मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत करने की कवायद में जुटी है। इसके लिए पूरे देश को डाप्लर रडार की जद में लाने की योजना तैयार की गई है। वर्तमान में देश में लगभग 37 डाप्लर रडार लगे है और अब प्रदेश सरकार इसकी संख्या को और बढ़ाने की तैयारी में है। केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के सहयोग से अब अपने जिले में भी डाप्लर रडार लगाए जाने की रणनीति प्रदेश सरकार ने तय किया है। फिलहाल जिले में मौसम विज्ञान विभाग का कोई केंद्र नहीं है। कोटवा स्थित कृषि महाविद्यालय में कुछ दिनों पूर्व निम्न स्तर पर संचालन शुरू किया गया था। जिससे तापमान आदि की ही जानकारी हो पाती थी। वर्तमान में मैन फोर्स की कमी के चलते उसका संचालन बंद है। वहीं वर्तमान में जो डाप्लर रडार जिले के आसपास में लगे है वह चार से पांच सौ किमी की दूरी पर है। जिससे जिले की सटीक जानकारी नहीं हो पाती है। मौसम की सटीक जानकारी न होने से जनपद के लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।  डाप्लर रडार की मदद से मौसम विभाग को 400 किमी क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की सटीक जानकारी मिलेगी। यह रडार डाप्लर प्रभाव का इस्तेमाल कर साइज में सबसे छोटी दिखने वालीं अतिसूक्ष्म तरंगो को भी कैच कर सकती है। जब यह तरंग किसी भी चीज से टकरा कर लौटती है तो यह रडार उसकी दिशा को आसानी से पहचान लेती है। इसके साथ यह हवा में तैर रहे माइक्रोस्कोपिक पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है। डाप्लर रडार बूंदों के आकार, उनके रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट करता है। जिससे डाटा के आधार पर यह पता लगाने में आसानी होगी कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा। यही नहीं शासन की योजना के अनुसार डाप्लर रडार आजमगढ़ के अलावा प्रदेश की राजधानी लखनऊ, अलीगढ़, झांसी व वाराणसी में भी स्थापित किया जाएगा। इसमें वाराणसी में एस बैंड तो आजमगढ़, लखनऊ, झांसी व अलीगढ़ में एक्स बैंड का डाप्लर रडार लगेगा। इस संंबंध में  कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता धीरेंद्र कुमार ‌‌सिंह ने बताया कि कृषि महाविद्यालय में मौसम की जानकारी के लिए सूक्ष्म व्यवस्था है, लेकिन इससे मात्र अधिकतम, न्यूनतम तापमान आदि की ही जानकारी हो पाती है। मैन पावर की कमी के चलते वर्तमान में इसका संचालन नहीं हो पा रहा है। डाप्लर रडार के बाबत अभी कोई पत्र शासन से नहीं मिला है। यदि ऐसा कोई पत्र मिलता है तो शासन के निर्देशानुसार कवायद की जाएगी।