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खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

श्रद्धाभाव, विश्वास और भक्ति ही ईश्वर से जुड़ने का सरल मार्ग

बछवल के काशीपुर में श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन 

मेंहनगर। ग्राम पंचायत बछवल के काशीपुर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन संगीतमयी का रसपान करने पंहुचे हजारों महिला, पुरुष भक्तों को दशंमस्कंध में भगवान श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनी। इस दौरान लगे जयकारों से  पूरा यज्ञ स्थल गूंजता रहा। कथावाचक सुरेशानंद महाराज ने बताया कि जब-जब पृथ्वी पर आतताई और आशुरी प्रवृत्ति के लोगों का राज कायम होता है तो श्रद्धाभाव, विश्वास और भक्ति भावना से पुकारने पर ईश्वर भक्तों के रक्षार्थ ईश्वर मानव शरीर में पृथ्वी पर अवतरित होकर राक्षसों का संहार और भक्तों का उद्धार किया है। सतयुग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम तो त्रेता युग में भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतरित होकर आतताई कंस और शिशुपाल जैसे राक्षसों को मारकर भक्तों को भयमुक्त होकर मर्यादित आचरण और भक्ति भाव से जीवन जीने का संदेश दिया। कथा वाचक महाराज जी ने देवकी, वासुदेव के विवाह, कंस को आकाशवाणी होने पर दोनों को बंदीगृह में डालने और कृष्ण जन्म और मथुरा, वृंदावन में रास रचाते हुए रुक्मिणी, सत्यभामा आदि से शादी और फिर द्वारिका पुरी बसाने की कथा सुनाई। संगीत मयी कथा में भक्त भावभिभोर होकर कथा का रसपान किया। इस दौरान आयोजक कृष्ण मुरारी पाण्डेय, अखिलेश पांडेय, माहेश्वरी कांत, ओमप्रकाश पाण्डेय, बृजबिहारी आदि उपस्थित रहे।