सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Video: संविधान की प्रस्तावना को पदाधिकारियों और सदस्यों ने दोहराया, पालन का संकल्प

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह दिन बहुत ही महत्वपूर्णः समाजसेवी गोविंद





आजमगढ़।
संविधान दिवस पर उत्तर प्रदेश अभिभावक महासंघ के पदाधिक‌ारियों और सदस्यों ने संविधान के सिद्धांतों का पालन करने का शपथ लिया।
 सचिव गोविंद दूबे ने संविधान दिवस पर भारत का संविधान के प्रस्तावना को सभी उपस्थित पदाधिकारियों के साथ दोहराया। संविधान एवं नियम के अनुसार कार्य करने का संकल्प लिया।  मालूम हो कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा भारत के लोगों की ओर से संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित एवं आत्मार्पित किया गया था। समाजसेवी गोविंद दूबे ने कहा‌ कि लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, परंतु पहले अपने मूल कर्तव्यों का पालन करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में 26 नवंबर का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। गुलामी की जंजीरों से आजाद भारत के संविधान सभा ने राष्ट्र के नये संविधान को अंगीकार किया। संविधान ही वह कड़ी है, जो हर भारतवासी को एक साथ पिरोती है। संविधान देश के हर नागरिक को एक समान अधिकार देता है। एक समान नियमों में बांधता भी है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन की लंबी मेहनत के बाद संविधान तैयार किया गया था। भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को हर क्षेत्र में समानता का अधिकार देता है। 26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान तैयार हुआ था और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया था। इस अवसर पर अजय राय, शक्ति श्रीवास्तव, अंबरीष पांडेय, भानु सिंह, अरुण  आदि मौजूद रहे।