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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

21 दिन की बच्ची के पेट से निकले आठ अविकसित भ्रूण, डाक्टर सहित परिजनों के उड़े होश

नवजात में अविकसित भ्रूण

झारखंड। राजधानी रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में रामगढ़ जिले के एक दंपत्ती की 21 दिन की बेटी के पेट से डाक्टरों ने आठ अविकसित भ्रूण निकाला। जिसके बाद डाक्टर से लेकर परिजन के होश उड़ गए।

जानकारी के अनुसार  झारखंड के रामगढ़ जिले के एक दंपत्ती की 21 दिन की बेटी के पेट से आठ अविकसित भ्रूण निकाला गया। बच्ची के पेट में दर्द होने के बाद उसे आयुष्मान योजना के तहत राजधानी रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डाक्टरों ने पेट में ट्यूमर होने की बात कही। इसके बाद बच्ची के ट्यूमर से जब आठ अविकसित भ्रूण निकले तो सभी के होश उड़ गए।

 अस्पताल के निदेशक डा राजेश ने बताया कि अभी तक दुनिया में 10 से भी कम ऐसे मामले सुनने को मिले हैं। यह अपने आप में एक अलग तरह की बीमारी है जिसे फिटस इन फेटु कहा जाता है। इस तरह की बीमारी होने के कोई ठोस कारण का पता नहीं चल पाया है। मालूम हो कि बच्ची का जन्म 10 अक्टूबर को हुआ था। सीटी स्कैन के बाद डाक्टरों को लगा कि उसके पेट में ट्यूमर है। इलाज के लिए बच्ची को रांची स्थित रानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। आयुष्मान भारत योजना के तहत उसका आपरेशन किया गया। इस दौरान नवजात के पेट से आठ भ्रूण निकाला गया। नवजात के पेट से जिस तरह से आठ अविकसित भ्रूण निकला है उसके बाद यह शोध का विषय बन चुका है। डाक्टरों ने बताया कि अभी तक दुनिया में इस पर शोध के कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं। मेडिकल साइंस में भी इस बीमारी का जिक्र जरूर है लेकिन इसके कारणों पर कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी गई है। यह कई कारणों से हो सकता है, बच्चा जब भ्रूण बनता है उस वक्त भी कुछ गड़बड़ियों की वजह से इस तरह की परेशानी हो सकती है। पीडियाट्रिक सर्जन डा. इमरान ने कहा कि ट्यूमर की शिकायत लेकर नवजात के परिजन रानी अस्पताल आए थे। नवजात को अपनी निगरानी में रखकर 21 दिन बाद आपरेशन किया गया। उन्होंने कहा कि आगे हमलोग इस पर शोध करेंगे। इस सर्जरी में करीब पांच घंटे का समय लगा। सर्जरी में तीन डाक्टरों की टीम शामिल थी, इसमें डा मो इमरान, डा विकास गुप्ता और डा उदय थे। यह सर्जरी मेडिकल छात्र-छात्राओं के लिए भी एक पढ़ाई का हिस्सा है। फिलहाल बच्चे की सेहत में सुधार है और उसके माता-पिता काफी खुश हैं।