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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

पुरानी कोतवाली की श्रीरामलीला में लंका दहन का मंचन..............

लंका दहन होते ही जय श्रीराम के लगे जयकारे



आजमगढ़। श्रीरामलीला समिति पुरानी कोतवाली के तत्वावधान में चल रही श्री रामलीला में सोमवार की रात कलाकारों ने लंका दहन और रामेश्वर स्थापना का मंचन किया। लंका दहन होते ही पूरा पंडाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।
 श्रीरामलीला में मंचन के क्रम में कलाकारों ने लंका दहन में दर्शाया कि माता सीता का पता लगाने हनुमान जी सागर लांघ कर लंका पहुंचते हैं। वहां पहुंचने पर हनुमान जी को जोरों की भूख लगती है और वे लंका में एक वाटिका में पहुंच फल खाते हैं और पेड़ों को तहस-नहस कर देते हैं। इसकी सूचना मेघनाथ को जब मिलती है तो वह हनुमान जी को पकडऩे वहां पहुंचता है। दोनों के बीच युद्ध होता है। बाद में मेघनाथ हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण के दरबार में ले जाते हैं। जहां रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया जाता है और हनुमान जी की पूंछ में आग लगते ही वे हवा में उड़ जाते हैं और लंका को आग के हवाले कर देते हैं। कलाकारों द्वारा लंका दहन के जीवंत मंचन ने लोगों का मनमोह लिया। इसके बाद कलाकारों ने रामेश्वर स्थापना का मंचन किया जाता है। जिसमें भगवान राम द्वारा समुद्र देव को मनाया जाता है। पुल निर्माण के पूर्व भगवान राम द्वारा भगवान शिव की स्थापना समुद्र कि नारे लगाए जाते हैं, जो कि भारत का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है। पुल निर्माण पूर्ण होने पर भगवान राम की वानर सेना लंका पहुंचती है। इस दौरान लगे श्रीराम के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा।  संयोजक विभाष सिन्हा ने बताया कि बुधवार की रात को कलाकारों द्वारा अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति का मंचन किया जाएगा।