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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: ग्रामीण बैंक कर्मियों ने किया आईपीओ का विरोध

बांह पर काली पट्टी बांधकर काम करते बैंककर्मी।

आदेश वापस न लेने पर शीत सत्र में करेंगे संसद का घेराव 

आजमगढ़। बड़ोदा यूपी बैंक कर्मियों ने पूंजी बाजार में ग्रामीण बैंकों के प्रवेश करने के लिए भारत सरकार के निर्देश के ‌खिलाफ शुक्रवार को बांह पर काली पट्टी बांध काम किया। बैंक कर्मियों ने इसे बैंक के निजीकरण के प्रयास के तौर पर देखते हुए इसका विरोध किया।
बड़ोदा यूपी बैंक अधिकारी एसोसिएशन के महामंत्री सुभाष चंद्र तिवारी कुंदन और सहायक मंत्री अनुज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार अगर ग्रामीण बैंक का आईपीओ जारी करने का निर्देश वापस नही लेती है तो शीत कालीन सत्र में संसद का घेराव किया जायगा। कहा कि ग्रामीण बैंक की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, खेतिहर मजदूरों और कारीगरों को सस्ते व्याज पर ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। पांच दशक के दौरान ग्रामीण बैंकों ने आम लोगो में बैंक की छबि प्राप्त कर ली है। इसकी कुल शाखाऐ देशभर में 21892 है जिसका 92 फीसद ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्र में कार्यरत है। ग्रामीण बैंक द्वारा अपने कुल ऋण का 90 फीसद प्राथमिकता वाले क्षेत्र अर्थात लघु व सीमान्त किसान, छोटे कारोबारी व दस्तकारों को सस्ते ब्याज दर पर दिए हैं। लेकिन अब ज्यादा पूंजी बाजार से जुटाने के उद्देश्य से ग्रामीण बैंक कानून 1976 को संशोधित किया गया है, जिसके तहत ग्रामीण बैंक का आईपीओ जारी करने के सरकारी प्रयास को बैंक कर्मी बैंक के निजीकरण की प्रारंभिक प्रक्रिया के रूप में देख रहे हैं। जिसका कुप्रभाव उनके सेवाशर्त तथा गरीब ग्रामीण जनता के सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराने पर भी पड़ सकता है। क्योंकि निजीकरण के बाद बैंक का उद्देश्य सामाजिक उत्थान और वेलफेयर के बजाय अधिक से अधिक मुनाफा अर्जित करना हो जाएगा।