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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: भगवान गणेश भी कहलाते हैं अर्द्धनारीश्वर, पढ़ें कैसे हुआ उनका ये अवतार

आजमगढ़। देवताओं में जिस तरह भगवान विष्णु की शक्ति वैष्णवी, शिव की शक्ति शिवा व ब्रह्मा की ब्रह्माणी हैं। वैसे ही भगवान गणेश की शक्ति गणेश्वरी हैं। इन्हें अर्द्धनारीश्वर के रूप में भी पूजा जाता है। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि भगवान गणेश का अर्द्धनारीश्वर रूप भी है। इसका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी है। आइए हम गणेश जी इस रूप के बारे में विस्तार से बताते हैं।
पंडित चंदन शास्त्री के मुताबिक, अंधकासुर राक्षस का वध करने के लिए भगवान गणेश ने नारी का रूप धारण किया था। उन्हें गणेश या विनायकी स्वरूप भी कहा जाता है। केवल भगवान शिव को ही अर्द्धनारीश्वर कहा गया है। जिनके आधे भाग में शक्ति स्वरूपा मां पार्वती का वास बताया गया है। शास्त्री के मुताबिक, किसी समय अंधकासुर राक्षस ने अपना अधिकार जमा लिया। इससे सभी देवता परेशान हो गए। समस्त देवता भगवान शिवजी के पास पहुंचे। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान प्रसन्न हुए और अंधकासुर का वध कर दिया। उसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर से रक्त बहने से संकट खड़ा हो गया। इसे पीने के लिए भगवान ने 200 देवियों को प्रकट किया। उन्हीं में एक रूप भगवान गणेश का भी अर्धनारीश्वर के रूप में हुआ। इसी प्रकार मत्स्य पुराण और विष्णु धर्म उत्तर पुराण के अनुसार, जब अंधकासुर राक्षस का वध करने के लिए भगवान शिव चले उस समय राक्षस माता पार्वती की तरफ बढ़ा और भगवान शिव का त्रिशूल माता पार्वती को ही लग गया। इससे जो रक्त जमीन पर गिरा वह आधे स्त्री के रूप में और आधे पुरुष के रूप में बट गया। जिसे गणेश साहनी के नाम से जाना गया। भगवान गणेश के अर्द्धनारीश्वर के रूप को गजानना, हस्तिनी, गणेश्वरी, गणपति, दया विनायकी, गणेश्वरी अयंगिनी, गजबक्त्रा, लंबोदरा आदि महामाया नामों से भी जाना जाता है।