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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: शहादत दिवस पर वीर अब्दुल हमीद को किया नमन

नगर के चकला तकिया में इदरीसी समाज ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
परमवीर चक्र सम्मानित अब्दुल हमीद की वीरता को किया गया याद

आजमगढ़। सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीर अब्दुल हमीद ने पाक के कई पैटर्न टैंक को नेस्तनाबूद कर दिया था। युद्ध के दौरान उन्हें वीरगति प्राप्त हुई और मरणोपरान्त उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। शनिवार को यूनाइटेड फ्रंट इदरीसी समाज की तरफ से अब्दुल हक वेलफेयर सोसायटी ने दफ्तरी कांप्लेक्स चकला तकिया पर अब्दुल हमीद की पुण्यतिथि पर नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया।

मुख्य वक्ता भारत रक्षा दल के सदस्य व समाजसेवी मोहम्मद अफजल इदरीसी ने कहा कि अब्दुल हमीद का जन्म गाजीपुर जनपद के धामूपुर गांव में 01 जुलाई 1933 को इदरीसी (दर्जी) बिरादरी में हुआ था। अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में एक सिपाही थे, जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सैक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अपनी अद्भुत वीरता का प्रदर्शन किया। युद्ध के दौरान 10 सितंबर 1965 को वीर अब्दुल हमीद को वीरगति प्राप्त हुई, उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वाेच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला। यह पुरस्कार भारत-पाक युद्ध के समाप्त होने के एक सप्ताह से भी पहले 16 सितम्बर 1965 को घोषित हुआ। अब्दुल हमीद के असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें महावीर चक्र भी दिया गया। उनके इस अदम्य साहस व बलिदान का देश हमेशा ऋणी रहेगा। हम सभी उनके असाधारण बहादुरी को नमन करते है। समाज के जिलाध्यक्ष अफसार अहमद इदरीसी ने कहा कि वीर अब्दुल हमीद 27 दिसम्बर 1954 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुए। बाद में उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में हुई, जहां उन्होंने अपने सैन्य सेवाकाल तक पूरी निष्ठा, ईमानदारी व बलिदान के साथ देश को अपनी सेवाएं दी। उन्होंने अपनी इस बटालियन के साथ आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़ में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल का सम्मान प्राप्त किया था। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। इस मौके पर फकरे आलम, बंटी इदरीसी, मुन्ना इदरीसी, अनवार इदरीसी, कमाल इदरीसी, कलाम इदरीसी अबरार इदरीसी, हनीफ इदरीसी, बुल्लू इदरीसी आदि लोग मौजूद रहे।