‘फ़िराक़ गोरखपुरी जन्मोत्सव’ पर ‘आधुनिक भारत के ग़ज़लकार’ का विमोचन
देशभर से जुटे शायरों ने पेश किया कलाम, मिला फ़ि़राक़ गोरखपुरी सम्मान
प्रयागराज।
फ़िराक़ गोरखपुरी मानवतावाद में यक़ीन करने वाले शायर थे। उन्होंने अपनी
शायरी में हर वर्ग, हर धर्म और हर समाज की अच्छी बातें का वर्णन किया है।
यहां तक द्वितीय विश्व को रेखांकित करते हुए ‘आधी रात’ नामक नज़्म लिखा है,
जो उस दौर में बहुत ही मशहूर हुई थी। वे स्वतंत्र विचार वाले शायर थे,
जहां कहीं भी अच्छी चीज़़े दिखती थी, उसे अपना लेते थे। गुफ़्तगू की ओर से
कार्यक्रम आयोजित करके उनको याद करना बहुत ज़रूरी कदम है। ऐसे शायर की शायरी
और जिन्दगी पर बात होती रहनी चाहिए। यह बात रविवार को गुफ़्तगू की ओर से
हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘फ़िराक़ गोरखपुरी जन्मोत्सव’ के दौरान
पूर्व कमिश्नर बादल चटर्जी ने कही। कार्यक्रम के दौरान इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
की संपादित पुस्तक ‘आधुनिक भारत के ग़ज़लकार’ का विमोचन किया। इस किताब में
शामिल सभी 110 शायरों को ‘फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान’ प्रदान किया गया।
अध्यक्षता
कर रहे अली अहमद फ़ातमी ने कहा कि 1972 से 1982 मेरा फ़िराक़ साहब से साथ
साबका रहा है। उनको, जानने, समझने और पढ़ने का खूब अवसर मिला है। वे बहुत
दूरन्दाज शायर थे। उनकी शायरी में इंसानियत, मोहब्बत, देशभक्ति और समाज को
बेहतर बनाने का जज़्बा दिखाई देता है। जिस ज़माने में फ़िराक़ साहब शायरी के
मैदार में आए थे, उस समय फ़ैज़, जिगर मुरादाबादी, साहिर लुधियावनी और अली
सरदार जाफरी जैसे शायर थे। मगर, इनके बीच भी फ़िराक़ ने अपनी अलग पहचान बनाई।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि हमलोग प्रत्येक एक शायर
का जन्मदिवस मानते हैं। इससे पहले कैफी आज़मी, निराला, महादेवी, अकबर
इलाहाबादी और साहिर लुधियानवी का जन्म दिवस मनाया था। इस वर्ष हमलोग फ़िराक़
साहब को याद कर रहे हैं। वाराणसी के सहायक डाक अधीक्षक मासूम रज़ा राशदी ने
कहा कि फ़िराक़ साहब का चयन सिविल सर्विस में हो गया था, लेकिन उन्हें यह
नौकरी पसंद नहीं आयी, उन्हें पढ़ना और पढ़ाना ही पसंद थी, इसलिए इलाहाबाद
यूनिवर्सिटी में अध्यापक बनकर आ गए। डॉ. हसीन जिलानी ने फ़िराक़ गोरखपुरी
द्वारा लिखे गए लेख पर शोध-पत्र पढ़ा। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।
गुफ़्तगू के सचिव नरेश महरानी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। दूसरे दौर में
मुशायरे का आयोजन किया गया। इसमें अनिल मानव, रेशादुल इस्लाम, अफसर जमाल,
अर्चना जायसवाल, शैलेंद्र जय, डॉ. इश्क़ सुल्तानपुरी, राज जौनपुरी, नीना
मोहन श्रीवास्तव, शिवाजी यादव, डॉ. पंकज कर्ण, धर्मेंद सिंह धरम, चांदनी
समर, इकबाल आज़र, डा. इम्तियाज़ समर, अर्शी बस्तवी, विजय लक्ष्मी विभा, संजय
सागर, अनीता सिन्हा, फरमूद इलाहाबादी, शाहिद सफ़र, निशा सिम्मी, सेलाल
इलाहाबादी, अतिया नूर, मधुकर वनमाली, एआर साहिल, रश्मि रौशन, सगीर अहमद
सिद्दीक़ी, वीणा खरे, सुशील वैभव, वर्तिका अग्रवाल, सरफ़राज अशरह, असद
ग़ाज़ीपुरी, अज़हर रसूल, केदारनाथ सविता, कामिनी भारद्वाज, तलत सरोहा, सय्यदा
तबस्सुम, नरेंद्र भूषण, रमेश चंद्र श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।