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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Jaunpur: उमाकांत यादव सहित छह को उमकैद की सजा

कोर्ट से बाहर आते उमाकांत यादव।

कोर्ट ने लगाया पांच लाख का जुर्माना

27 साल पहले जीआरपी कांस्टेबल हत्याकांड में हुई सजा

जौनपुर। कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सांसद उमाकांत यादव और उनके छह साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। ये सजा उन्हें 27 साल पहले हुए जीआरपी कांस्टेबल हत्याकांड में सुनाई गई है। कोर्ट के फैसले के वक्त आजमगढ़ से सपा विधायक और उमाकांत के बड़े भाई रमाकांत यादव भी मौजूद रहे। पूर्वांचल की राजनीति में उमाकांत यादव बहुचर्चित सियासी चेहरा हैं। उनका नाम गेस्ट हाउस कांड में भी सामने आया था।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कोर्ट संख्या तीन में सोमवार लगभग तीन बजे जज शरद कुमार त्रिपाठी ने आधे घंटे बहस सुनी। जज शरद कुमार त्रिपाठी ने कैपिटल जजमेंट 4 बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया। इसके बाद उमाकांत यादव अन्य आरोपियों के साथ पुलिस अभिरक्षा में कचहरी परिसर में वकील के चैम्बर में चले गए। इस दौरान मीडिया के सामने मुस्कुराते हुए फोटो भी खिंचवाई।शनिवार को जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट से बाहर आते उमाकांत यादव।

स्टेशन पर हुआ था मामूली विवाद
मामला 27 साल पुराना है। 4 फरवरी 1995 को जौनपुर के शाहगंज स्टेशन पर दो पक्षों में विवाद हो गया था। जीआरपी चौकी को सूचना दी गई कि प्लेटफार्म 1 पर बेंच पर बैठने को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया है। उनमें से एक व्यक्ति खुद को विधायक उमाकांत यादव का ड्राइवर राजकुमार बता रहा था। कहासुनी हुई तो ड्राइवर ने जीआरपी के सिपाही रघुनाथ सिंह को थप्पड़ जड़ दिया। अन्य सिपाहियों की मदद से राजकुमार को जीआरपी चौकी में लाकर बन्द किया गया।

लॉकअप पर हुई अंधाधुंध फायरिंग
किसी ने इस बात की सूचना उमाकांत यादव को दी। आरोप है कि असलहे से लैस होकर उमाकांत अपने गनर बच्चूलाल, PRD जवान सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र और सभाजीत के साथ पहुंच गए। इन सभी के हाथों में रिवॉल्वर, कार्बाइन रायफल और देसी तमंचा था। जीआरपी लॉकअप के सामने उमाकांत ने सभी को ललकार कर गोलियां चलाने को कहा। इसके बाद स्टेशन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गयी। इससे भगदड़ और दहशत फैल गई।

GRP सिपाही ने मौके पर तोड़ा दम
गोली लगने से जीआरपी कांस्टेबल अजय सिंह ने मौके पर दम तोड़ दिया। वहीं सिपाही लल्लन सिंह और रेलवे कर्मचारी निर्मल, यात्री भरत लाल गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान उमाकांत अपने साथी को लॉकअप से निकाल कर फरार हो गए।

कांस्टेबल रघुनाथ सिंह ने घटना को लेकर FIR दर्ज कर कराई थी। पुलिस ने हत्या, हत्या के प्रयास सहित 10 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में छानबीन शुरू की गई। इसकी विवेचना CBCID को भी सौंपी गई।

27 साल चला मामला

जीआरपी कांस्टेबल अजय सिंह की हत्या का मामला कोर्ट में 27 साल चला। मामले में लगभग 598 बार सुनवाई हुई। सरकारी अधिवक्ता लाल बहादुर पाल और CBCID के सरकारी वकील मृत्युंजय सिंह ने इस मामले में 19 गवाहों को भी पेश कराया। गवाही के दौरान कांस्टेबल लल्लन सिंह पक्षद्रोही घोषित हो गया।

क्या आरोप हुए तय?
आरोपित उमाकांत समेत 7 के खिलाफ IPC की धारा 147 बलवा, धारा 148 घातक हथियारों से युक्त होकर बलवा, धारा 225 आरोपित राजकुमार को विधि पूर्ण अभिरक्षा से छुड़वाना, धारा 302 हत्या, धारा 307 हत्या का प्रयास ,धारा 332 लोक सेवक को चोट पहुंचाना, धारा 333 गंभीर चोट पहुंचाना, धारा 427 रेलवे स्टेशन के कमरों के दरवाजे फायर कर नष्ट करना, धारा 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट में अंधाधुंध फायरिंग करके अफरा तफरी का माहौल बनाना, इसके अलावा आरोपित राजकुमार पर धारा 224 में विधि पूर्ण अभिरक्षा से भाग निकलने की धाराओं में 13 फरवरी 2007 को अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में आरोप तय हुआ था।