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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Health News UP: यूपी में संक्रामक बीमारी फैला रही पांव, अब तक नौ बच्चों में हो चुकी डिप्थीरिया की पुष्टि

लखनऊ। प्रदेश में संक्रामक रोग पांव पसार रहे हैं। अब तक प्रदेश में डिप्थीरिया (गला घोंटू) की नौ बच्चों में पुष्टि हो चुकी है। इसमें बांदा में छह, बलिया में दो और कन्नौज में एक बच्चे में इसकी पुष्टि हुई है। बीते दिनों बांदा में इससे चार बच्चों की मौत हुई थी।

यूपी में तेजी से फैल रही डिप्थीरिया (गला घोंटू) बीमारी

  • यूपी में डिप्थीरिया (गला घोंटू) बीमारी तेजी से फैल रही है और स्वास्थ्य विभाग हालात पर काबू नहीं कर पा रहा है। सर्विलांस टीमें गठित की गईं हैं लेकिन वह सिर्फ जांच के लिए सैंपल भेजने और साफ-सफाई तक ही सीमित है।

  • डिप्थीरिया एक जीवाणु संक्रमण है, जो मुख्यत: कोराइम बैक्टीरियम डिप्थीरिया के कारण होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने व छींकने पर उसके संपर्क में आने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। गले में होने वाले इस रोग है जो गले व नाक की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है।

  • पीडि़त के गले में दर्द, तेज बुखार और मुंह में सफेद झिल्ली बन जाती है। गले में सूजन से सांस नली दब जाती है। दिल पर भी असर होता है। सही समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे-किशोर की मौत भी हो जाती है।

  • फिलहाल जिलों से केजीएमयू में सैंपल भेजे जा रहे हैं और यहां डिप्थीरिया की जांच के लिए टीम लगाई गई है। लखीमपुर खीरी व अन्य जिलों में बच्चों में मलेरिया से बच्चे बीमार हुए हैं।

  • चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. लिली सिंह की ओर से पत्र जारी कर सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि लक्षण युक्त बच्चों की तत्काल जांच कराई जाए, उसमें देरी न हो।

संपर्क में आने वाले को भी हो सकता है डिप्‍थीरिया

डिप्‍थीरिया बीमारी वैसे तो किसी भी आयुवर्ग को हो सकती है, लेकिन बच्‍चे सर्वाधिक इसकी चपेट में आते हैं। इसके होने के बाद सांस लेने में काफी परेशानी होती है। यदि कोई व्‍यक्ति इसके संपर्क में आता है तो उसे भी डिप्‍थीरिया हो सकता है। डिप्थीरिया का संदेह होने पर डॉक्‍टर से परामर्श करने के बाद ही बच्‍चों को दवा दें।

डिप्‍थीरिया के लक्षण

नाक का बहना

गले में दर्द

बुखार

बीमार महसूस करना