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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

यूपी: हेल्थ सिस्टम हुआ बीमार, दो साल के भाई के शव को लेकर भटकता रहा मासूम


बागपत में नहीं मिली एंबुलेंस, पिता थक गया तो 10 साल के बेटे को थमाया शव

लखनऊ। यूपी का हेल्थ सिस्टम बीमार हो गया है। देवरिया और बागपत के दो वायरल वीडियो इसकी तस्दीक करते हैं। देवरिया में जिला अस्पताल में बुजुर्ग मां के लिए एक युवक को स्ट्रेचर नहीं दिया गया। थोड़ी देर बाद उसकी मां की मौत हो गई। वहीं दूसरा घटना बागपत की है। वहां पोस्टमॉर्टम के बाद दो साल के बेटे की लाश पिता को सौंप दिया गया। उन्होंने एंबुलेंस देने को कहा तो किसी ने सुनवाई नहीं की। पहले पिता इसके बाद बच्चा, गोद में लाश लेकर एक घंटे तक इधर-उधर भटकते रहे।

बागपत में शुक्रवार को गुस्से में एक मां ने अपने बेटे को सड़क पर फेंक दिया था। कार के नीचे आने से दो साल के बेटे की मौत हो गई थी। शनिवार को बच्चे का पोस्टमार्टम करके शव पिता को सौंप दिया। पिता प्रवीण ने एंबुलेंस देने को कहा तो किसी ने सुना नहीं। बेबस पिता बच्चे का शव गोद में लेकर पैदल ही चल दिया। थोड़ी देर में जब वह थक गया तो उसने अपने बड़े बेटे के हाथ में शव दे दिया। पिता प्रवीण ने कहा, "बेटे की मौत की खबर सुनकर मैं राजस्थान से आया था। मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे। यहां अस्पताल में भी खर्चा हो गया। प्राइवेट वाहन वाले 1000 रुपए से ज्यादा मांग रहे थे। मेरे पास किराया देने के पैसे नहीं थे। मैंने स्वास्थ्य कर्मियों से शव ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी थी, लेकिन नहीं मिली। इसलिए शव को पैदल लेकर जा रहा था। एक घंटे बाद हम लोगों को शव वाहन दिया गया। वहीं, सीएमओ दिनेश शर्मा ने कहा, परिवार को कुछ देर रुकने के लिए कहा गया था। देरी होने पर परिवार शव लेकर बाहर आ गया। सीएमएस को जब मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने शव वाहन का इंतजाम कर दिया। देरी होने का कारण पता लगवाया जा रहा है।

देवरिया में युवक बोला- मां मरने वाली है, पर स्ट्रेचर नहीं दिया जा रहा

दूसरा घटना देवरिया जिला अस्पताल का है। इसमें एक बेटा अपनी बुजुर्ग मां को कंधे पर उठाकर घूम रहा है। वीडियो में चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है, "इमरजेंसी केस है। रेफर केस है पर स्ट्रेचर नहीं दिया जा रहा। दो स्ट्रेचर खाली हैं पर एक भी स्ट्रेचर नहीं दिया जा रहा। मां मरने वाली है, पर स्ट्रेचर नहीं दिया जा रहा। देखिए इनकी हालात यह देवरिया हॉस्पिटल की यही कहानी है देखिए। मांगते रह गए पर स्ट्रेचर नहीं मिला है। यह अंकल जी हैं, इन्होंने भी स्ट्रेचर नहीं दिया है। 2 स्ट्रेचर हैं पर स्ट्रेचर दिया नहीं गया।

प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक बोले- आरोप गलत हैं
अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एचके मिश्रा ने बताया कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं। युवक की बुजुर्ग मां 20 अगस्त को एडमिट हुई थी। 21 को डाक्टरों ने लखनऊ के लिए रेफर कर दिया था। इस बीच परिजन शहर के किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। वहां से डाक्टरों ने लौटा दिया। इस बीच बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। महिला के शव को ले जाने के लिए शव वाहन की भी व्यवस्था हो गई थी, लेकिन मां की मौत से नाराज युवक वीडियो बनाकर झूठे आरोप लगाने लगा। सारे आरोप बेबुनियाद हैं।