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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: दरार मिटाने आए अखिलेश खोद गए खाई

रमाकांत से मुलाकात बढ़ा सकती है अल्पसंख्यकों में नाराजगी 

आजमगढ़। सपा मुखिया अखिलेश यादव का आजमगढ़ दौरा विवादों में घिर गया है। एक तरफ सपाई अपनों से ही मारपीट करते दिखे तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव जिस उद्देश्य से आजमगढ़ आए थे वह भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। अखिलेश ने सोचा था कि आजमगढ़ दौरे से वे अपने वोट बैंक को साधने में सफल होंगे, लेकिन उनका यह दांव उल्टा पड़ गया है। पूर्व सीएम की इस यात्रा से उनके सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम नाराज दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि अखिर आजम नहीं तो रमाकांत क्यों?

 वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ संसदीय सीट सूद सहित बीजेपी से वापस लेने का दावा कर रही समाजवादी पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अखिलेश यादव के आजमगढ़ दौरे पर बड़े नेता जहां अपने ही कार्यकर्ताओं को पीट दिए वहीं अखिलेश की रमाकांत यादव से मुलाकात के बाद अल्पसंख्यकों में नाराजगी भी बढ़ गई है। उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश के आजमगढ़ आने का मुख्य उद्देश्य था रमाकांत यादव के जरिए अपने वोट बैंक को एकजुट करना लेकिन उनका यह दाव उल्टा पड़ता दिख रहा है। पहले ही नाराज चल रहे अल्पसंख्यकों की नाराजगी और बढ़ गई है। सोशल मीडिया से लेकर आम नेता तक का मात्र एक ही सवाल है कि अगर आजम से नहीं तो रमाकांत से जेल में मुलाकात क्यों। अखिलेश जिस दारार को पाटने के लिए आजमगढ़ आए थे वह खाई बनती दिख रही है।

बता दें कि सपा मुखिया अखिलेश यादव 22 अगस्त 2022 को हत्या के प्रयास, जहरीली शराब कांड, सरकारी कर्मचारी से छिनैती सहित कई मामलों में जेल में बंद रमाकांत यादव से मिलने आजमगढ़ जिला कारागार गए थे। पहले वहां सपा के पूर्व एमएलसी कमला प्रसाद यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष विजय यादव ने एक कार्यकर्ता को पीट दिया। इसके बाद जब अखिलेश वापस लौटे तो अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी साफ दिख। अल्पसंख्यक समाज इस बात से नाराज है कि आजम खान ढ़ाई साल जेल में रहे लेकिन अखिलेश ने उनसे एक बार भी मुलाकात नहीं की। उनके एक विधायक के घर पर बुलडोजर चला दिया गया फिर भी अखिलेश कुछ नहीं बोले और ना ही उनसे मिलने गए लेकिन रमाकांत यादव को जेल गए एक महीना नहीं हुआ और वे मिलने पहंुच गए। रमाकांत से अखिलेश की मुलाकात पर निगाहें लगाए अल्पसंख्यकों में जहां सपा मुखिया के लौटते ही बहस छिड़ गई है तो ओलमा कौंसिल ने सीधा ऐतराज जताते हुए पूछा है कि आखिर अखिलेश को मुसलमानों के इतना परहेज क्यों हैं। सवाल उठना लाजमी भी है। जिले में सपा के पूर्व ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद समेत कई नेता भी विभिन्न वजहों से फरारी काट रहे हैं अथवा जेल में है लेकिन अपने दौरे पर अखिलेश यादव ने उनका नाम भी नहीं लिया। जबकि इसरार अहमद तो विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार भी थे। दीदारगंज के पूर्व विधायक आदिल शेख विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज हुए तो लोकसभा उपचुनाव में भी नहीं दिखे। यही नहीं अखिलेश के कार्यक्रम से भी उन्होंने दूरी बना ली। पार्टी के कई अल्पसंख्यक नेता नाराज दिख रहे हैं। वहीं विपक्ष भी इसके मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। बसपा से लेकर सुभासपा और उलेमा कौंसिल तक सपा पर सीधा हमला बोल रही है। उलेमा कौंसिल ने तो यहां तक दावा कर दिया है कि सपा को उपचुनाव में अल्पसंख्यकों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा था। 2024 में उसकी मुश्किल और बढ़ने वाली है।

भाजपा के जिला महामंत्री ब्रजेश यादव व पूर्व विधायक रामदर्शन यादव ने अखिलेश यादव के भाजपा पर निशाना साधने पर पलटवार करते हुए उनके दौरे को धोखा बताया है। कहा कि कानून का राज अखिलेश को अच्छा नहीं लग रहा है। उनका दौरा शुद्ध रूप से राजनीतिक है लेकिन उनका समाज को तोड़ने का सपना कभी पूरा होने वाला नहीं है। समाज का प्रत्येक तबका कानून का राज और विकास चाहता है।