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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: दहेज हत्या में पति को आठ वर्ष की कैद, 19 हजार का अर्थदंड

आजमगढ़। दहेज हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने आरोपी पति को आठ वर्ष सश्रम कारावास तथा 19 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं आरोपी ससुर को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला विशेष सत्र न्यायधीश रामनारायन ने बुधवार को सुनाया।दहेज हत्या के मामले में पति को आठ साल सश्रम कारावास व 19 हजार अर्थदंड मुकदमें के अनुसार वादी मुकदमा सीताराम निवासी कैथवलिया थाना सैदपुर जिला गाजीपुर की पौत्री पूजा का विवाह वर्ष 2015 में अमर राजभर पुत्र हरिहर निवासी पवनी खुर्द थाना मेहनगर जिला आजमगढ़ के साथ हुआ था। शादी में कम दहेज को लेकर ससुराल में पूजा का उत्पीड़न होने लगा। आए दिन उसे मारा पीटा जाता था। जब ससुराल वालों की मांग पूरी नहीं हुई तो उन्होंने 23 अक्टूबर 2017 को पूजा की जहर देकर हत्या कर दी गई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की। विवेचना पूरी होने के बाद पुलिस ने पति अमर तथा ससुर हरिहर के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता अनिल सिंह तथा ओम प्रकाश सिंह ने वादी सीताराम समेत कुल चार गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी अमर को राजभर को आठ वर्ष के कारावास तथा उन्नीस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि आरोपी ससुर को हरिहर को पर्याप्त सबूत के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।