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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Lucknow: स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारियों के कार्य बहिष्‍कार से इलाज पर संकट, मरीज बेहाल


स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारियों के कार्य बहिष्‍कार से इलाज पर संकट, मरीज बेहाल

लखनऊ। अस्पतालों में पैरामेडिकल स्टाफ, फार्मासिस्टों और कर्मचारियों के नियमविरुद्ध स्थानांतरण से गुस्साए कर्मचारियों ने बुधवार को दो घंटे बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान अस्पतालों में ओपीडी, पैथालाजी में जांच, औषधि वितरण समेत अन्य कार्य प्रभावित रहे। जिससे मरीजों को परेशानी हुई।

राज्य कर्मचारी परिषद की अपील पर लखनऊ के बलरामपुर, अवंतीबाई महिला अस्पताल, सिविल, लोकबंधु, रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त अस्पतालों समेत कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में कामकाज ठप रहा। फार्मासिस्टों के कार्य बहिष्कार से दो घंटे तक दवाओं का वितरण रुका रहा। बलरामपुर और सिविल अस्पताल में दवा काउंटर पर खड़े लोगों को 10 बजे के बाद दवा मिल सकी। जांचों में एक्सरे, ईसीजी समेत दूसरी जांच के काउंटर बंद रहे। पैथोलाजी में थायराइड, खून और अन्य जांच कराने में मरीजों को पसीना छूट गया। इस बीच करीब दस से 15 लोग लगभग नौ बजे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश का बैनर लिए हुए पहुंचे। वह नारेबाजी और हंगामा करने लगे। इसके कारण भी काफी अव्यवस्थाएं रहीं। वहीं, फैजुल्लागंज की आशा शुक्ला, रूपा निगम रूटीन में डाक्टर का परामर्श लेने पहुंची थी। डाक्टर को दिखाने के बाद वह भी करीब 10 बजे तक दवाई के लिए लाइन में खड़ी रहीं पर दवा नहीं मिली।सआदतगंज दरगाह के रहने वाले फहीम ने बेटी को बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में हड्डी वाले डाक्टर को दिखाया। इसके बाद उन्हें एक्सरे कराने के लिए बेटी को ले जाना था। करीब घंटे भर तक वह व्हील चेयर खोजते रहे। जब नहीं मिली तो बेटी को गोद में लेकर लड़खड़ाते हुए एक्सरे विभाग पहुंचे। इस दौरान सीढ़ियां चढ़ते हुए कई बार तो गिरते हुए बचे। हालांकि अस्पताल के पैथालाजी लैब में भी मरीजों की जांच होती रही और संविदा कर्मचारियों ने अपना काम जारी रखा। अस्पताल के बाहर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के सदस्यों ने कार्य बहिष्कार के दौरान नारेबाजी की।

यहां होता रहा काम : डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में सुबह से ही काम होता रहा। ओपीडी काउंटर पर मरीजों के पर्चे बने चिकित्सकों ने ओपीडी में उन्हें देखा जांचे हुई और मरीज लगातार आते रहे। दवा काउंटर भी खोले रहे कर्मचारियों ने लगातार अपना काम जारी रखा कार्यबहिष्कार का असर यहां देखने को नहीं मिला।