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सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर एकता यात्रा निकाली गई

हा​थों में तिरंगा लेकर आमजन हुए शामिल लगाए भारत माता की जय के नारे आजमगढ़। भारतीय जनता पार्टी द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत सदर विधानसभा क्षेत्र में एकता यात्रा निकाली गई। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अखिलेश मिश्रा गुड्डू के नेतृत्व में यह पदयात्रा एसकेपी इंटर कॉलेज से प्रारंभ होकर पहाड़पुर, तकिया, चौक, अग्रसेन चौराहा, कलेक्ट्रेट चौराहा होते हुए अम्बेडकर पार्क पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता, छात्र और आमजन हाथों में तिरंगा लिए शामिल हुए। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर लोगों द्वारा पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष ध्रुव सिंह तथा मुख्य अतिथि प्रदेश महामंत्री संजय राय उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि संजय राय ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती 31 अक्टूबर को पूर्ण हुई है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। आजादी के बाद देश 562 रियासतों में...

Lucknow: राजफाश होने के बाद पशुपालन विभाग में घटिया दवाओं के वापसी के आदेश

विभागीय तबादलों में भी खेल

लखनऊ। पशुपालन विभाग में घटिया दवाओं का राजफाश होने के बाद निदेशक रोग नियंत्रण का उनका उपयोग न करने और दवाओं को वापस लौटाने का निर्देश है। इससे अब पशुओं का इलाज कैसे किया जाए, डाक्टरों के समक्ष ये समस्या है। वहीं, ऐसे अस्पतालों को विभाग ने आइस लाइनर रेफ्रिजरेटर भेजे हैं, जहां बिजली का कनेक्शन नहीं है। अन्य सामग्री की गुणवत्ता भी बेहद खराब है।

 जिलों में संचालित छह हजार से अधिक गोआश्रय स्थलों में नौ लाख से अधिक गोवंशीयों को रखा गया है। उनके इलाज का जिम्मा पशु चिकित्साधिकारियों पर रहा, पांच साल में करीब दो दर्जन से अधिक डाक्टरों पर इलाज में लापरवाही के आरोप में कार्रवाई हुई। राजकीय विश्लेषक उत्तर प्रदेश ने अप्रैल में पशुओं की कई दवाओं को घटिया करार दिया। उसके बाद से डाक्टर नाराज हैं।  उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ लखनऊ के अध्यक्ष डा. राकेश कुमार का कहना है कि पशुओं की मौत घटिया दवाओं से हुई थी। ऐसे में चिकित्सकों पर हुई कार्रवाई की भरपाई कौन करेगा। रोग नियंत्रण विभाग में जिन दो अफसरों पर घटिया दवा और गुणवत्ताहीन महंगे दामों पर सामग्री खरीदने का आरोप है वे दोनों अहम पदों पर जमे हैं। एक सेवानिवृत्त होकर महत्वपूर्ण पद संभाल रहा है और दूसरा पशुपालन में ही निदेशक पशुपालन है। उसके विरुद्ध लोकायुक्त जांच भी 2019 में शुरू हुई लेकिन उसे दबा दिया गया। तत्कालीन प्रमुख सचिव पशुपालन बीएल मीणा ने इस संबंध में लोकायुक्त को पत्र भी लिखा था लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। मुख्यमंत्री ने दवा व सामग्री खरीद के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त व अपर मुख्य सचिव कृषि को जांच सौंपी गई है। उसकी रिपोर्ट मिलने का इंतजार है। विभागीय तबादलों में भी खेल: पशुपालन विभाग ने विभागीय तबादलों में भी जमकर खेल किया। 29 जून तक आनलाइन आवेदन लिए गए और 30 जून को आफलाइन आदेश जारी किए गए, उनमें भी कई चिकित्सकों के आदेश उसी तारीख में संशोधित कर दिए गए। इसकी शिकायतें हुईं लेकिन स्वास्थ्य व लोकनिर्माण विभाग की ही जांच हो रही है। पशुपालन सहित अन्य कई विभागों ने आफलाइन आदेश किए उनकी जांच तक नहीं हुई।



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