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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Lucknow: Sawan 2022: लखनऊ के रानी कटरा इलाके में बसती छोटी काशी

शिवलिंग के 30 से अधिक स्वरूपों के दर्शन से मिलता है सौभाग्य

लखनऊ। लखनऊ में रहकर काशी के दर्शन करना चाहते हैं तो चौक का रानी कटरा इलाका आपकी इस मनोकामना को पूर्ण करता है। रानी कटरा छोटी काशी के रूप में विख्यात है। यहां शिवलिंग के 30 से अधिक स्वरूपों के दिव्य दर्शन का सौभाग्य मिलता है। यही नहीं, भगवान शिव के अनन्य भक्त रावण का दरबार भी यहीं पर लगता है। 

चारधाम की यात्रा भी लखनऊ की इसी छोटी काशी में हो जाती है। स्वर्ग की सीढ़ी है तो नरक का द्वार भी यहीं पर है। यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश साथ में विराजे हैं। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न तीनों भाइयों के साथ भगवान राम के दरबार का अलौकिक दर्शन भी यहां होता है। विष्णु भगवान के 12 स्वरूपों को एक साथ देखने का पुण्य भी रानी कटरा में ही मिलेगा। तीन भाइयों के रूप में बड़ा, मंझला और छोटा शिवाला यहां स्थापित हैं। तीनों शिवाला आसपास ही हैं। रिद्धि, सिद्धि के साथ विघ्न विनाशक गणपति की दुर्लभ मनोहारी प्रतिमा भी लखनऊ की इस छोटी काशी में भक्तों काे भाव विभोर करती है। इसके अलावा गार्गी माता, संतोषी माता और बंदी माता समेत कई मंदिर भक्तों को असीम आनंद की अनुभूति देते हैं। 

बड़ा शिवाला : माता संकटा देवी मंदिर (बड़ा शिवाला) में एक ही मां के तीन स्वरूप खीर भवानी, संकटा माता और राज्ञा देवी के दर्शन होते हैं। कश्मीरियों की कुलदेवी का यह मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि 1778 में पंडित जींद राम चौधरी ने इसे बनवाया था। यहीं पर विशाल शिवलिंग में एक बार जल अर्पित करने पर 108 शिवलिंग पर जल चढ़ाने का पुण्य मिलता है। यहां शिवलिंग के अरघे में सूक्ष्म रूप में 108 शिवलिंग बने हैं। शिवलिंग के पास ही नंदी के दर्शन भी होते हैं। मंदिर प्रांगण में ही करीब तीन सौ वर्ष पुराना बरगद का पेड़ भी है। बटुक भैरव के दर्शन का लाभ भी यहां मिलता है। यहां नौ कुंडलीय यज्ञशाला भी है। एक यज्ञशाला की गहराई करीब चार फीट है। पुजारी संदीप शुक्ल और राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि मंदिर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। यहां शिवलिंग पर चढ़ाया जल नालियों में ना जाकर सीधे जमीन के अंदर जाकर जल स्तर बढ़ाने का काम करता है। चार चैंबरों में जल को शुद्ध किया जाता है। करीब 25 वर्षों से नियमित मंदिर में सेवा के लिए आ रहे स्थानीय निवासी राकेश कुमार के अनुसार वर्ष भर मंदिर में दर्शन पूजन के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। सावन में पूरे महीने पूजन और रुद्राभिषेक के लिए बुकिंग फुल रहती है।

छोटा शिवाला : बड़ा शिवाला से थोड़ी दूरी पर ही छोटा शिवाला है। शिवलिंग का अरघा प्राय: उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर होता है, पर यहां स्थापित दुर्लभ शिवलिंग की विशेषता है कि इसका अरघा पश्चिम-पूर्व की ओर है। पुजारी रमेश शर्मा के अनुसार छोटा शिवाला तांत्रिक शिवलिंग के तौर पर भी जाना जाता है। यह तंत्र साधना का केंद्र था। मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है, पर यह कब बना इस बारे में कोई प्रामाणिक तिथि नहीं है। यहां मनोकामना पूर्ति पर नेपाल नरेश ने भी घंटा बांधा था, जो आज भी है।

चारोधाम मंदिर : करीब 125 साल पुराने इस मंदिर में चार धाम की यात्रा होती है। मंदिर रामेश्वरम, ब्रदीनाथ, द्वारकाधीश और भगवान जगन्नाथ विराजे हैं। यहां महालक्ष्मी मंदिर, दशावतार, स्वर्ग धाम, नवग्रह, यमलोक, जगन्नाथपुरी, राम अयोध्या पुरी, केदारपुरी, हनुमान गढ़ी, बद्री विशाल, माता गंगा उद्गम, रामेश्वरम सेतु पुल-, लंका पुरी रावण दरबार है। यहीं पर महादेव के अनन्य भक्त रावण की दशहरे के दिन पूजा भी की जाती है। इस चार धाम मंदिर में विष्णु भगवान के दस अवतार के दर्शन भी होते हैं। ऋद्धि गौढ़ ने बताया कि कुंदन लाल कुंज बिहारी लाल अग्रवाल ने हर किसी के लिए चार धाम यात्रा सुलभ कराने के उद्देश्य से लखनऊ में इस मंदिर की स्थापना की थी। स्थानीय निवासी आशीष अग्रवाल के अनुसार मंदिर में ही चंदन की लकड़ी से बनी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के दर्शकों का लाभ भी मिलता है।