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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgrah: डिजिलॉकर से रिजल्ट चेक कर सकेंगे सीबीएसई के छात्र



आजमगढ़। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बार एक नई पहल कर रहा है। जिसके तहत कक्षा 10 और 12वीं के बच्चे अपना रिजल्ट डिजिलॉकर पर चेक कर सकते हैं। ‌डिजिलॉकर के लिए बच्चों को स्कूल छह अंकों का सिक्योरिटी पिन उपलब्ध कराएगा। इसकी मदद से छात्र डिजिलॉकर पर अपनी मार्कशीट व सर्टिफिकेट सहित अन्य एकादमिक दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे। सीबीएसई बोर्ड के सिटी कोआर्डिनेटर नीलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि छात्र-छात्राओं के डेटा की प्राइवेसी और सुरक्षा मजबूत करने के लिए सीबीएसई इस छह अंकों के सिक्योरिटी पिन वाली व्यवस्था की शुरुआत कर रहा है। डिजिलॉकर अकाउंट एक्टिव होने के बाद छात्र इश्यूड डॉक्यूमेंट सेक्शन में जाकर अपने डिजिटल एकेडमिक प्रमाणपत्र सुरक्षित कर पाएंगे। पहले सिक्योरिटी पिन स्कूलों को दिए जाएंगे। इसके बाद स्कूल उन्हें हर छात्रों को देगा। स्कूलों को छात्रों के सिक्योरिटी पिन पाने के लिए सीबीएसई डॉट डिजिटल लॉकर डॉट जीओवी डॉट इन पर जाकर लॉग इन करना होगा। इसके बाद उन्हें डाउनलोड पिन फाइन ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। पिन फाइनल डाउनलोड होने के बाद स्कूल इन्हें सुरक्षित ढंग से छात्रों को अलग अलग वितरित कर सकेंगे।