नरौली में बन सकता है शहर का दूसरा बस अड्डा, चार हेक्टेयर भूमि आरक्षित
आजमगढ़।
शहर के लोगों को एक और बस अड्डा मिल सकता है। लेकिन जिले के लापारवाह बने
अधिकारियों के कारण योजना अटकी है। जबकि महायोजना-1985 में नरौली क्षेत्र
में चार हेक्टेयर भूमि बस अड्डे के लिए आरक्षित है। लेकिन अधिकारियों की
उदासीनता ने इस सौगात से शहर के लोगों को दूर रखा है।
बताते चलें कि आजमगढ़ परिक्षेत्र के
सभी जनपदों में रोडवेज के दो-दो डिपो हैं। आजमगढ़ में आजमगढ़ और डॉ.
आंबेडकर डिपो, मऊ में मऊ और दोहरीघाट डिपो एवं बलिया में बलिया और बेल्थरोड
डिपो हैं। सभी डिपो के कार्यालय के साथ ही उनके अपने बेड़े भी हैं। आजमगढ़
डिपो की 81 और आंबेडकर डिपो में 73 बसें विभिन्न रूटों पर संचालित होती
हैं। पहले पुराने बस अड्डे पर दोनों डिपो के ऑफिस और आंबेडकर डिपो का
वर्कशाप भी था। लगभग 16 करोड़ से नए बस अड्डे के निर्माण के बाद आंबेडकर
डिपो अब एक वर्कशाप के लिए तरस रहा है। वजह कि आंबेडकर डिपो का पूरा
क्षेत्र नये बस अड्डे में समाहित हो गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक
इस डिपो की वर्कशाप आदि अब सिर्फ कागजों में है। इस डिपो का संचालन नए बस
अड्डे से ही हो रहा है। वहीं, नए बस अड्डे के आबादी के बीच होने से जाम की
भी स्थिति बनी रहती है। इससे काफी परेशानी होती है। इसी वजह से नरौली
क्षेत्र में नए बस अड्डे के लिए कवायद की गई थी।
एडीए के पत्र पर शुरू हुई थी पहल
आजमगढ़। आजमगढ़ विकास प्राधिकरण की 1985 की महायोजना में नरौली क्षेत्र में
चार हेक्टेयर भूमि का प्रस्ताव बस अड्डे के लिए रखा गया है। इस संबंध में
एडीए ने उक्त भूमि का भू उपयोग बरकरार रखने के बाबत परिवहन निगम को पत्र
लिखा था। जवाब में निगम ने इसके भू उपयोग को बरकरार रखने की सिफारिश करते
हुए नए बस अड्डे के निर्माण की कवायद शुरू की थी।
भूमि उपयुक्तता की जांच को बनी थी कमेटी
आजमगढ़। परिवहन निगम ने नए बस अड्डे के लिए पांच हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता
बताई थी। प्रारंभिक तौर पर नरौली में प्रस्तावित भूमि को उपयुक्त एवं
अच्छी लोकेशन पर बताया गया था। साथ ही भूमि संबंधी रिपोर्ट देने के लिए
कमेटी गठित की गई थी। जिसमें क्षेत्रीय प्रबंधक को अध्यक्ष, सेवा प्रबंधक,
सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक वित्त, सहायक अभियंता भवन, सहायक क्षेत्रीय
प्रबंधक आंबेडकर डिपो सदस्य बनाया गया था। गठित कमेटी को भूमि की जांच कर
रिपोर्ट परिवहन निगम मुख्यालय को भेजी थी। इसके बाद भूमि खरीद और बस अड्डे
के निर्माण का प्रपोजल तैयार किया जाना था लेकिन इस पर काम ही नहीं हो सका।
एआरएम अंबेडकरनगर डिपो रामेश सिंह
अभी पदभार ग्रहण किया है।
जानकारी लेते हैं। यदि डिपो के लिए भूमि आरक्षित की गई है तो उसपर आगे की
कार्ययोजना बनाकर कार्य करने का प्रयास होगा।