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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh : गंगा दशहरा कल, विशेष दान-पुण्‍य करें तो मिलेगी दस जन्‍मों के पापों से मुक्ति, जानें शुभ मुहूर्त


महाराजगंज में भैरव बाबा के स्थान पर गंगा दशहरा मेला 

आजमगढ़। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही भागीरथ गंगा को धरती पर लाए थे। इस दिन गंगा धरती पर अवतरित हुईं थीं, जिसे हम गंगा दशहरा के नाम से मनाते हैं। इस बार गंगा दशहरा नौ जून को है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जेठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन हस्त नक्षत्र में मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं। इस साल हस्त नक्षत्र नौ जून को सुबह 4:32 से लेकर 10 जून शुक्रवार सुबह 4:26 बजे तक रहेगा, जबकि दशमी तिथि नौ जून को सुबह 8:22 से शुरू होकर 10 जून सुबह 7:25 बजे तक रहेगी। इसे ‘गंगावतरण’ भी कहते हैं।

भैरो बाबा स्थान पर माता सती ने हवन कुंड में कुद दी थी जानः जिला मुख्यालय से 30 किमी महाराजगंज स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भैरो बाबा का स्थान लोगों की अस्था का केंद्र है। पौराणिक कथा के अनुसार यहां प्रजापति राजा दक्ष के यज्ञ में सती ने अपना शरीर भस्म कर लिया था। शंकर जी के गण वीरभद्र (काल भैरव) आदि ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया था तथा भैरव जी यहीं स्थापित हो गए थे। यहां प्रत्येक मंगलवार और पूर्णिमा को मेले लगते हैंं। यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। भैरो बाबा मंदिर पर वैसे तो प्रतिदिन लोग दर्शन-पूजन करने के लिए लोग आते हैं। मान्यता है कि बाबा का स्मरण करके यदि मिर्च चढ़ाकर मन्नत मांगी जाए तो वह अवश्य पूरी होती है। मुराद पूरी होने पर रामायण पाठ, हरिकीर्तन और घंटा बांधते हैं। भैरो बाबा के दर्शन करने से पहले लोग ऐतिहासिक पोखरे में स्नान-ध्यान करते हैं। मंदिर में पश्चिम तरफ हवन-कुंड है। राजा दक्ष द्वारा यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित न करने और अपमानित करने से नाराज होकर माता सती ने हवन कुंड में कुदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। वहीं मंदिर से लगभग पांच सौ मीटर दूर रविदास मंदिर के सामने एक पानी का श्रोत है। जहां से हमेशा शुद्ध पानी निकलता रहता है। यहां पर शिवरात्रि के दिन भोले शंकर और पार्वती जी का विवाह होता है। नौ जून को गंगा दशहरा पर लगने वाले मेले की तैयारियों जोर-शोर से चल रही हैं। स्थानीय सहित अन्य जिलों के दुकानदार दुकाने सज गई हैं। एक सप्ताह चलने वाले मेले में झुला, सर्कस, थियेटर आदि लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई मुराद पूरी हो जाती है। मन्नत पूरे होने पर श्रद्धालु मिर्च चढ़ाते हैं। नौ जून को गंगा दशहरा पर यहां मेला लगेगा। जिसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। 

गंगा अवतरण कथा : भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। अपने पूर्वजों को जीवन मरण के दोष से मुक्त करने तथा गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या प्रारंभ की। गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुईं तथा स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगी तो पृथ्वी उनका वेग नहीं सह पाएगी और वह रसातल में चली जाएगी। यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए। तब भगीरथ ने भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी। संसार के दुखों को हरने वाले भगवान शिव जी प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने उनसे आपनी बाद कह दी। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं गंगा का गर्व दूर करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। इस पर गंगा ने शिव से माफी मांगी तो एक छोटे से पोखरे में छोड़ दिया वहां से गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। युगों युगो तक बहने वाली गंगा की धारा महाराज भागीरथ की कस्टमय साधना की गाथा कहती है। गंगा प्राणी मात्र को जीवनदान ही नहीं देती मुक्ति भी देती है।

गंगा जी में स्नान न कर सकें तो घर के पानी में मिला ले थोड़ा से गंगाजल: गंगा दशहरा पर गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान दान पुण्य का विशेष महत्व है। हिंदू संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य/शुद्धि के लिए गंगा जल प्रयोग में लाते हैं। अगर गंगा में स्नान न कर सकें तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और गंगा जी का पूजन करेंं। इस दिन 10 अंक का विशेष महत्व है। पूजा करते समय सभी सामग्री को 10 की मात्रा में चढ़ाएं। जैसे- 10 फूल, 10 दीपक, 10 फल आदि इस दिन दान का भी महत्व है। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है।

मां गंगा का पवित्र पावन मंत्र : ओम नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा। गंगा दशहरा पूजन विधिइस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को होकर गंगा स्नान कर लें।अगर आप गंगा नदी स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें।स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल लेकर सूर्य को अर्घ्य दें।इसके साथ ही गंगा मां को फूल, सिंदूर आदि अर्पित करने के साथ दीपदान करें।अंत में गंगा जी के मंत्रों का जाप कर लें।