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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा, ये है व्रत का महत्‍व

आजमगढ़। ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा की। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। सोमवार को अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने व्रत रखा और वट वृक्ष की पूजा की। अमावस्या सोमवार को सायंकाल 4:59 तक है।

बता दें कि इस दिन शनि जयंती होने के साथ खास योग भी बन रहा है। सुबह 7:12 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 31 मई सुबह 5:08 बजे तक रहेगा। सोमवार को होने से स्नान, दान, श्राद्ध की सोमवती अमावस्या का भी संयोग है। इस खास योग में पूजा करने से फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा। भारतीय संस्कृति में स्त्री प्रकृति के कण-कण को अपने प्रेम का साक्षी मानती है। प्रत्येक अंश में उस दिव्य सत्ता की झलक पाती है और उससे अपने सुहाग रक्षा की प्रार्थना करती है। गंगा, सूर्य, चंद्रमा या वट वृक्ष सब उसके लिए अक्षय सुहाग देने वाले हैं। जिले में अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री व्रत रखकर पूजन अर्चन किया। भोर से ही बरगद के वृक्ष के नीचे एकत्र होकर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा का पाठ किया। वट सावित्री व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है। सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग के दीर्घायु होने और उनकी कुशलता के लिए पूजा-उपासना किया। कहा कि वट सावित्री व्रत कथा के श्रवण मात्र से महिलाओं के पति पर आने वाली बुरी बला टल जाती है। शास्त्रों में पीपल के पेड़ की तरह बरगद के पेड़ का भी खास महत्व है। पुराणों में ऐसा माना गया है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा और कथा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह पेड़ लंबे समय तक बना रहता है, इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता है।