भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप को जयंती पर किया नमन
आजमगढ़। महाराणा प्रताप सेना के तत्वावधान में महाराणा
प्रताप की जयंती मंगलवार को होटल गरूण के सभागार में समारोह पूर्वक मनायी
गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता लल्लन सिंह यादव व संचालन प्रदेश प्रभारी अनिल
सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाराणा प्रताप की प्रतिमा के समक्ष
दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके बाद आंगतुकों ने शूरवीर योद्धा महाराणा
प्रताप के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस दौरान शारदा
चौराहा पर महाराणा प्रताप की भव्य प्रतिमा स्थापित करने का आह्वान किया
गया, जिसका सभी ने पूरजोर समर्थन किया।
महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त
पर
प्रकाश डालते हुए बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता शत्रुध्न सिंह ने कहा
कि भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप ने केवल एक जाति की नहीं बल्कि पूरे
समाज के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने का काम किया। उन्हें नैतिक मूल्य स्थापना
एवं स्वाभिमान की रक्षा के लिए सदैव याद किया जाएगा। सेना प्रमुख
बिजेंद्र सिंह ने कहा कि आज के ही दिन इनका जन्म मेवाड़ के कुंभलगढ़ में
सिसोदिया वंश में हुआ था। पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम
महारानी जयवंता बाई था। महाराणा प्रताप अपने सभी भाई-बहनों में सबसे ज्यादा
युद्ध में माहिर थे। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए संघर्ष करके
हुए अपने प्राण त्याग दिए थे। महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के विस्तार
वाद के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध और हल्दीघाटी, देवर की लड़ाई काफी अहम मना
जाती है। उन्हें अकबर की अवज्ञा और उनके वफादार घोड़े चेतक की बहादुरी के
लिए याद किया जाता है। महाराणा ने उस समय मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी
से लड़ाई लड़ी जब दूसरों ने अकबर के वर्चस्व को स्वीकार कर लिया था। सरकार ने
मांग करते हुए संरक्षक हरिवंश सिंह ने कहा कि क्षत्रिय विरोधी
सरकारों ने वैभवशाली इतिहास को समाप्त करने की नियति से क्षत्रियों के
पूर्वजों की जीवनी एवं वीरगाथा को पाठ्यक्रमों से निकालने का घृणित कार्य
किया। बल्कि इन महापुरूषों को पुनः पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए ताकि
आने वाली पीढ़ियां अपने महापुरूषों के सीख लेकर उन्हें आत्मसात करें। इस
दौरान सभी आंगतुकों को महाराणा प्रताप का चित्र देकर सम्मानित किया गया।
समारोह में महेेद्र सिंह, आजाद, शिवगोविंद, जयसिंह, चंद्रजीत सिंह,
आनंद सिंह, सुरेंद्र यादव, वीरभद्र प्रताप सिंह, डा. अवनीश, डा. ईश्वर
चंद्र त्रिपाठी, अच्युतानंद त्रिपाठी, अमलेश सिंह आदि मौजूद रहे।