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खास खबर

सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर एकता यात्रा निकाली गई

हा​थों में तिरंगा लेकर आमजन हुए शामिल लगाए भारत माता की जय के नारे आजमगढ़। भारतीय जनता पार्टी द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत सदर विधानसभा क्षेत्र में एकता यात्रा निकाली गई। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अखिलेश मिश्रा गुड्डू के नेतृत्व में यह पदयात्रा एसकेपी इंटर कॉलेज से प्रारंभ होकर पहाड़पुर, तकिया, चौक, अग्रसेन चौराहा, कलेक्ट्रेट चौराहा होते हुए अम्बेडकर पार्क पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता, छात्र और आमजन हाथों में तिरंगा लिए शामिल हुए। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर लोगों द्वारा पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष ध्रुव सिंह तथा मुख्य अतिथि प्रदेश महामंत्री संजय राय उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि संजय राय ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती 31 अक्टूबर को पूर्ण हुई है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। आजादी के बाद देश 562 रियासतों में...

Gorakhpur: आंखों के लिए तेजाब से खतरनाक है खैनी का चूना

एक माइक्रोग्राम भी चूना आंखों के लिए खतरनाक

99 प्रतिशत मरीजों की रोशनी जाने का खतरा

गोरखपुर।  खैनी का चूना आंखों के लिए तेजाब से भी खतरनाक है। इससे आंखों की रोशनी के जाने का भी खतरा बना रहता है। इस संबंध में बीआरडी मे‌डिकल कालेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रामकुमार जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि खैनी का चूना या आम चूना (अल्कली बर्न) एसिड की तुलना में आंखों के लिए ज्यादा खतरनाक है। यह कम समय में आंखों के अंदर चला जाता है, इसकी वजह से कर्निया (पुतली) खराब हो जाती है। इसका शिकार अधिकांश बच्चे होते हैं।
  डा. रामकुमार ने बताया कि खैनी का चूना जिसकी आंखों में गया और उसका इमरजेंसी में इलाज नहीं हुआ तो ऐसे 99 प्रतिशत मरीजों की रोशनी चली जाती है। चूना आंख की पुतली को जला और गला देता है। कई बार पलक और पुतली दोनों चिपक जाती है, जिनका ऑपरेशन करना भी बेहद मुश्किल होता है। क्योंकि, चिपकने की वजह से कर्निया गल जाती है। इस तरह के केस 15 दिन पूर्व ही बीआरडी में आए थे। बताया कि खैनी का या साधारण चूना दोनों ज्यादा खतरनाक है। गलती से यह बच्चों या बड़ों की आंखों में चला जाए तो तत्काल इलाज शुरू कर दें। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश छापड़िया बताया कि अगर आंखों में एक माइक्रोग्राम चूना भी रह जाता है तो वह धीरे-धीरे कर्निया को गला देता है। डॉ. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि बीआरडी में हर माह चार से पांच केस इस तरह के आ रहे हैं।  बचाव की जानकारी देते हुए बताया कि अगर आंख में चूना चला जाए तो तत्काल साफ पानी से आंखों को लगातार धुलते रहें और नजदीकी नेत्र चिकित्सक से संपर्क कर दवा लें। उन्होंने बताया कि कुछ इस प्रकार का केस बस्ती में प्रकाश में आया था। यहां के रहने वाले 12 साल का बालक खेल रहा था। गलती से उसके आंखों में खैनी का चूना चला गया। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि उसके आंखों की पलक और पुतली चिपक गई। परिजन इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर आएं, जहां पर डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन इलाज में देरी की वजह से उसके आंखों की 70 प्रतिशत रोशनी चली गई। अभी भी उसका इलाज चल रहा है। इसी क्रम में एक और केस में संतकबीरनगर के रहने वाला सात साल का मासूम घर में खेल रहा था। खेलते-खेलते उसके हाथ में खैनी का चूना आ गया और उसकी आंखों में चला गया। परिजन पहले संतकबीरनगर जिला अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने बीआरडी रेफर कर दिया। लेकिन, परिजन शहर के डॉ. योगेश छापड़िया के यहां लेकर आए, जहां पर उसका इलाज चल रहा है। उसकी आंखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ गया है।

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