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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

आजमगढ़ में 11 मई को नगर निकाय चुनाव के लिए होगी वोटिंग

पहले चरण की वोटिंग चार मई को, 13 मई को आएंगे परिणाम 

लखनऊ। नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। यूपी में निकाय चुनाव दो चरणों में होंगे। पहले चरण की वोटिंग चार मई और दूसरे चरण की वोटिंग 11 मई को होगी, जबकि 13 मई को परिणामों की घोषणा की जाएगी।

चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार 4 मई को सहारनपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, प्रयागराज, लखनऊ, देवीपाटन, गोरखपुर और वाराणसी मंडल के जिलों में होंगे मतदान। वहीं, 11 मई को मेरठ, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, चित्रकूट, अयोध्या, बस्ती, आजमगढ़ और मीरजापुर मंडल के जिलों में होगा मतदान। बता दें, यूपी नगर निकाय के 14,684 पदों पर चुनाव होगा। प्रदेश के 17 महापौर और 1420 पार्षद के पदों के लिए यह चुनाव होंगे। इससे पहले नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर यूपी सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई थी। इसमें आरक्षित सीटों को लेकर भी जानकारी दी गई थी। इसमें बताया गया था कि कौन-सी सीट से समाज के किस वर्ग का प्रत्याशी चुनाव लड़ सकता है। दरअसल, यूपी निकाय चुनाव को लेकर प्रशासन स्तर पर पिछले साल से तैयारी चल रही थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण को लेकर मामला फंस रहा था और फिर हाई कोर्ट द्वारा बिना आरक्षण के चुनावों का ऐलान भी हुआ था। उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, फिर कमेटी बनी और अब ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो रहे हैं। गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आयोग का गठन कर कराए गए सर्वे और रिपोर्ट के आधार पर नगर विकास विभाग की ओर से ओबीसी आरक्षण पर को ध्यान में रखते हुए अनंतिम लिस्ट जारी की गई थी। नगर निगम, नगरपालिका परिषद और नगर पंचायतों में कराए गए सर्वे के बाद जारी आरक्षण लिस्ट पर लोगों से दावे और आपत्तियां मंगाई गई थी। इन दावे-आपत्तियों का निस्तारण होने के बाद प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया है।