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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: पितृपक्ष में भूल से भी न करें इन चीजों का सेवन, नाराज हो जाते हैं पितृ देवता

आजमगढ़। हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। पितरों की मुक्ति के लिए विधि विधान से श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान समेत कई अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दौरान कई परहेज और सावधानियां भी बरतनी पड़ती है। मान्यता है कि इस अवधि में ऐसी कुछ चीजें हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। आइए हम विस्तार से इस बारे में अवगत कराते हैं।

पितृपक्ष के दौरान घर को साफ सुथरा रखना चाहिए। इस दौरान घर के किचन में बासी या झूठा खाना नहीं रखना चाहिए। रसोई में गंदा बर्तन रखने से पितृ नाराज हो जाते हैं। पंडित  चंदन शास्त्री के मुताबिक, पितृपक्ष में लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब, सिगरेट व तामसिक भोजन व जमीन में उगने वाली सब्जियां जैसे मूली, आलू, अरवी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। चना, मसूर की दाल का सेवन करना भी वर्जित है।

पितृ पक्ष में करें दुर्गा सप्तशती या सुंदरकांड का पाठ : हर रोज दुर्गा सप्तशती या सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए। इसके पाठ करने से न केवल पितरों को शांति मिलती है बल्कि प्रभावित व्यक्ति के जीवन की बाधाएं भी दूर होती हैं। प्रतिदिन घर में गीता का पाठ करें। ऐसा करने से आपको सभी परेशानियों से मुक्ति प्राप्त होगी।

उठते है जेहन में ये सवाल : पितरों को लेकर बहुत से लोगों में हमेशा जिज्ञासा बनी रहती है। जैसे वे कौन हैं, वे क्यों नाराज होते हैं, उनकी नाराजगी से क्या होता है। ये पितृ दोष क्या है? यदि हमारे पितृ हमसे नाराज हैं तो हमें कैसे मालूम चले कि वे हमसे नाराज हैं और यदि वे नाराज हैं तो हम उन्हें कैसे प्रसन्न करें। पितृ हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है। कोई न कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है।

मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है। पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है और इससे ऊपर स्वर्ग लोक है। कुछ लोग शंका करते हैं कि श्राद्ध में समर्पित की गईं वस्तुएं पितरों को कैसे मिलती है? कर्मों की भिन्नता के कारण मरने के बाद गतियां भी भिन्न-भिन्न होती हैं। कोई देवता, कोई पितृ, कोई प्रेत, कोई हाथी, कोई चींटी, कोई वृक्ष और कोई तृण बन जाता है। तब मन में यह शंका होती है कि छोटे से पिंड से अलग-अलग योनियों में पितरों को तृप्ति कैसे मिलती है? पितरों और देवताओं की योनि ऐसी है कि वे दूर से कही हुई बातें सुन लेते हैं, दूर की पूजा ग्रहण कर लेते हैं और दूर से कही गईं स्तुतियों से ही प्रसन्न हो जाते हैं। पितृपक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष व तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता हैं। इन्हीं को पितृ कहते हैं। जिस तिथि को माता-पिता का देहांत होता है, उसी तिथि को पितृपक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में अपने पितरों के निमित्त जो अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप शास्त्र विधि से श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसके सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। पितृ दोष के अनेक कारण होते हैं। अपने माता-पिता तथा अन्य ज्येष्ठ जनों का अपमान न करें। प्रति वर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण अवश्य करें। यदि इन सभी क्रियाओं को करने के पश्चात् पितृ दोष से मुक्ति न होती हो तो ऐसी स्थिति में किसी सुयोग्य कर्मनिष्ठ विद्वान ब्राह्मण से श्रीमद् भागवत् पुराण की कथा करवायें। वैसे श्रीमद् भागवत् पुराण की कथा कोई भी श्रद्धालु पुरुष अपने पितरों की आत्मा शांति के लिए करवा सकता है। इससे विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।