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खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Varanasi: काशी में बाबा के दरबार में आस्था की कतार, कांवरियों ने किया जलाभिषेक

वाराणसी (पूसं)। सावन माह के तीसरे सोमवार पर बाबा दरबार में आस्‍था की कतार सुबह से ही नजर आई। दूर दराज से पहुंचे कांवड़‍ियों की वजह से काशी विश्‍वनाथ दरबार सुबह मंगला आरती के बाद से ही बम - बम रहा।  बाबा दरबार में आने वालों की कतार एक ओर गोदौलिया से बाबा दरबार तक थी तो दूसरी ओर गंगा से बाबा दरबार तक आस्‍था की कतार लगी हुई थी। आस्‍था का सावन गंग धार से बाबा दरबार तक एकाकार नजर आया। आस्‍थावानों की सुविधा के लिए बाबा दरबार में कतार के लिए बैरिकेडिंंग के साथ ही डाक बम कांवड़‍ियों के लिए अतिरिक्‍त लेन सुरक्षित की गई थी। 

बाबा दरबार में सुबह आठ बजे तक 1.45 लाख श्रद्धालु बाबा दरबार में हाजिरी लगा चुके थे। मंगला आरती के बाद भोर 3.45 बजे मंदिर के पट आम दर्शनार्थियों के लिए खुले तो बाबा दरबार हर हर बम बम के उद्घोष से गूंज उठा। तीन प्रमुख द्वारों से बाबा दरबार में भक्‍तों को प्रवेश दिया गया तो कतार को भी व्‍यवस्थित करने के लिए सुरक्षा बलों की भी तैनाती विभिन्‍न चेक पोस्‍ट पर लगी रही। दशाश्वमेध घाट से आने वाले दर्शनार्थियों को रोककर एक एक जत्थे में छोड़ा गया ताकि बाबा दरबार में भगदड़ की स्थिति न आने पाए। वहीं बाबा दरबार में गर्भगृह को चार ओर से धातु की प्‍लेट से जोड़ दिया गया ताकि भक्‍त झांकी दर्शन करने के साथ बाहर से ही जलाभिषेक करें जो बाबा तक आसानी से पहुंच जाए। इस लिहाज से आने वाले भक्‍तों को भी पहली बार कारिडोर परिसर में खुला माहौल मिला तो कतार और पैदल चलने की थकान भी मानो उतर गई। बाबा को प्रिय मास सावन, प्रिय दिवस सोमवार और उनके दरबार में श्रद्धा की अविरल फुहार। गंगधार से यहां तक कतार तो रात में ही लग गई थी, भोर होते-होते इसका आकार चार किलोमीटर में विस्तार पा गया। एक सिरा मैदागिन के पार तो दूसरा लक्सा छूने को बेकरार दिख रहा था। स्थिति यह की दशाश्मेध से मंदिर तक तिहरी कतार लगी थी। इससे घाट का रास्ता पूरी तरह जाम था। ऐसे में स्नानार्थियों को गिरजाघर चौराहे पर ही रोक दिया गया।
मंगला आरती के बाद भोर 3.0 बजे मंदिर के पट खुले और श्रद्धालु बाबा से जा मिले। तीन-चार घंटे इंतजार के बाद भी निर्विकार भाव से श्रद्धालु बम बोल व हर हर महादेव का उद्घोष गुंजाते श्रीकाशी विश्वनाथ धाम आते रहे। गर्भगृह के द्वार से ही बाबा की झलक पाकर विभोर और दूध-जल में घुले भावों से बाबा को नहलाते रहे। इसमें केशरिया वस्त्र धारी कांवड़धारी बाबा भक्तों का उत्साह दखते ही बन रहा था। धीरे धीरे भीड़ मंदिर परिसर स्थित जिगजैग में समाने लगी तब गिरजाघर से स्नानार्थियों को आगे के लिए छोड़ा गया। इसके अलावा मार्केंडेय महादेव, रामेश्वर महादेव, शूलटंकेश्वर महादेव, महामृत्युंजय महादेव समेत गांव से लेकर शहर तक के शिवालयों में भोर से कतार रही।

सावन में हर सोमवार बाबा के अलग-अलग स्वरूप शृंगार की परंपरा है। इसके तहत काशी विश्वनाथ धाम के गर्भगृह में बाबा की अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में झांकी सजाई जाएगी। स्वर्णिम गर्भगृह में बाबा के इस विशिष्ट स्वरूप का दर्शन रात लगभग नौ बजे के शृंगार दर्शन में मिलेगा। मनु स्मृति में उल्लेख है कि देवाधिदेव महादेव स्वयं को दो भाग में विभक्त किया और उसमें ही अर्द्धनारीश्वर स्वरूप दिखा दिया। बाबा का यह स्वरूप अद्वैत भाव को व्यक्त करता है। सावन की परंपरा के अनुसार प्रथम सोमवार को बाबा ने गर्भगृह में मानवाकृत स्वरूप में दर्शन दिया था। द्वितीय सोमवार को बाबा की शिव-शक्ति स्वरुप में झांकी सजाई गई थी। अब अगली बार यानी चौथे सोमवार को बाबा की रुद्राक्ष झांकी सजाई जाएगी। सावन पूर्णिमा पर बाबा सपरिवार रजत झूले पर विराजमान होंगे।