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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: जिला अस्पताल भ्रष्टाचार मामलाः जांच में मामला सही निकला तो नपेंगे कई

भाजपा के पूर्व महामंत्री रविशंकर के ‌शिकायती पत्र पर हो रही जांच

लोकसभा उपचुनाव के चलते रूकी जांच फिर से शुरू

आजमगढ़। भाजपा के पूर्व महामंत्री रविशंकर द्वारा मंडलीय चिकित्सालय के अधिकारी और डॉक्टर पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मंडलायुक्त को दिए गए शिकायती पत्र की जांच फिर शुरू हो गई है। जांच में भ्रष्टाचार का मामला अगर सही पाया गया तो कई पर इसकी तलवार लटक सकती है। मंडलायुक्त को संबोधित शिकायती पत्र में 15 बिंदुओं पर आरोप लगाया है। जिलाधिकारी ने जाँच के आदेश जारी किए, तीन सदस्यीय जाँच कमेटी गठित हुई लेकिन लोकसभा उप चुनाव के चलते जाँच लटक गई थी। जांच को फिर कमेटी को सक्रिय किया गया है। साक्ष्य सहित की गई शिकायत में अस्पताल को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए शासकीय धन की लूट किए जाने का आरोप लगाया गया है। शिकायत कर्ता का आरोप है कि कुछ कर्मचारी यहां ऐसे है जो कई वर्षों से यहां जमे हुए है। स्थानांतरण होने पर विकलांग प्रमाण पत्र तो कभी राजनीतिक दबाव के बल पर अपना स्थानांतरण रुकवा लेते है। अस्पताल में संविदा, आउटसोर्सिंग के 18 पदों पर नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रहास ने नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति किया है। पूर्व एसआई डॉ. एसके सिंह ने शासन को पत्र लिख कर बताया था कि ई-हॉस्पिटल के संचालन के लिए कर्मचारी प्रशिक्षित हो चुके है। जिसके चलते संविदा पर कार्य कर रहे,12 आपरेटरों की सेवा समाप्त कर दी गई। इसके बाद नए एसआईसी ने फिर छह कंप्यूटर आपरेटरों को नियुक्त किया है। ई-हास्पिटल के लिए 2019 से प्रत्येक वर्ष कप्यूटर व लैपटॉप की खरीद एसआईसी, नेत्र रोग विशेषज्ञ व ब्लड बैंक एलटी सुबास पांडेय के फर्मो के माध्यम से बाजार से अधिक रेट पर किया जा रहा है। रविशंकर तिवारी ने आरोप लगाया कि अस्पताल की स्पेशल आडिट के दौरान आडिट टीम ने एक कर्मचारी पर 1 करोड़ से अधिक के गबन को प्रमाणित किया था लेकिन अब तक उक्त कर्मचारी पर कोई कार्रवाई अस्पताल प्रशासन ने नहीं की है। इतना ही नहीं 17.50 लाख खर्च कर 480 सीलिंग पंखा खरीदा गया है, जिसमें भी बड़ा घोटाला हुआ है। एडीएम प्रशासन व जांच कमेटी के सदस्य अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि जांच की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। जांच पूरी होने होने पर आख्या उच्चाधिकारियों व शासन को प्रेषित कर दी जायेगी।