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खास खबर

सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर एकता यात्रा निकाली गई

हा​थों में तिरंगा लेकर आमजन हुए शामिल लगाए भारत माता की जय के नारे आजमगढ़। भारतीय जनता पार्टी द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत सदर विधानसभा क्षेत्र में एकता यात्रा निकाली गई। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अखिलेश मिश्रा गुड्डू के नेतृत्व में यह पदयात्रा एसकेपी इंटर कॉलेज से प्रारंभ होकर पहाड़पुर, तकिया, चौक, अग्रसेन चौराहा, कलेक्ट्रेट चौराहा होते हुए अम्बेडकर पार्क पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता, छात्र और आमजन हाथों में तिरंगा लिए शामिल हुए। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर लोगों द्वारा पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष ध्रुव सिंह तथा मुख्य अतिथि प्रदेश महामंत्री संजय राय उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि संजय राय ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती 31 अक्टूबर को पूर्ण हुई है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। आजादी के बाद देश 562 रियासतों में...

व्रत-उपवास: 26 जुलाई को मंगला गौरी व्रत

इस दिन पति-पत्नी को एक साथ करनी चाहिए भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा

आजमगढ़। सावन का मंगलवार शिव-पार्वती की पूजा का विशेष होता है। इस महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। वैसे तो ये व्रत खासतौर पर महिलाएं करती हैं, लेकिन पति और पत्नी दोनों एक साथ इस दिन व्रत-उपवास और पूजा करते हैं तो वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से महिलाओं को देवी पार्वती अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देती हैं।

 ज्योतिषाचार्य पं. मनीष के मुताबिक जो लोग मंगला गौरी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें स्नान के बाद शिव जी और देवी पार्वती के सामने व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। गणेश पूजन के बाद शिव जी और देवी पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत और फिर जल चढ़ाएं। देवी मां की प्रतिमा का भी इन चीजों से अभिषेक करें। बिल्व पत्र, दूर्वा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, चंदन आदि चीजें शिव जी को चढ़ाएं। देवी मां को लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, चूड़ियां आदि चीजें चढ़ाएं। दोनों देवी-देवता को दूध से बनी मिठाई, मौसमी फल, पान, सुपारी अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें। इसके बाद आरती करें। भगवान से भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें। अंत में प्रसाद खुद भी लें और दूसरों को भी बांटें।

ये है मंगला गौरी व्रत की संक्षिप्त कथा

पुराने समय में धर्मपाल नाम का एक सेठ था। वह अपने जीवन में बहुत सुखी था, उसकी पत्नी भी धार्मिक स्वभाव वाली थी, लेकिन इनका एक दुख था, इनकी कोई संतान नहीं थी। दोनों पति-पत्नी भगवान की पूजा रोज करते थे। पूजा के प्रभाव से भगवान की कृपा हुई और इनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। इस बच्चे को एक शाप मिला था कि अल्पायु में ही एक सांप इसे डंस लेगा। जब ये लड़का बड़ा हुआ तो इसका विवाह ऐसी लड़की से हुआ जो मंगला गौरी व्रत करती थी। इस व्रत के प्रभाव से लड़की के पति को शाप से मुक्ति मिल गई और धर्मपाल सेठ का लड़का मंगला गौरी व्रत के असर से लंबी उम्र तक जीवित रहा।

मंगलवार को कर सकते हैं ये शुभ काम भी

मंगलवार को मंगल ग्रह के लिए लाल मसूर की दाल का दान जरूरतमंद लोगों को करें। शिवलिंग पर लाल गुलाल, लाल फूल चढ़ाएं और ऊँ भौं भौमाय नम: मंत्र का जप करें। गौशाला में धन और अनाज का दान करें।

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