सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

नगर के पुरानी कोतवाली में ऐतिहासिक श्रीरामलीला...............

बगीचे में सीता जी को देख मुग्ध हुए श्रीराम

कलाकारों के जीवंत अभिनय पर लगे श्रीराम के जयकारे

29 को श्रीराम विवाह, कलेवा और सीता विदाई का होना मंचन 


आजमगढ़। नगर के पुरानी कोतवाली में ऐतिहासिक श्रीरामलीला मंचन के क्रम में मंगलवार की रात श्री बाबा बैजनाथ श्रीरामलीला मंडल (जनकपुर मिथिला धाम) बिहार के कलाकारों ने सीता जन्म सहित फुलवारी का मंचन किया। इस दौरान कलाकारों ने अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। बीच-बीच में लग रहे श्रीराम के जयकारों से वातावरण श्रीराममय हो गया था। बता दें कि 29 सितंबर की रात आठ बजे से श्रीराम विवाह, कलेवा और सीता विदाई का मंचन होगा।

श्रीरामलीला के मंचन के क्रम में कलाकारों द्वारा सीता जन्म का मंचन किया जाता है। इसके बाद कलाकारों ने नगर दर्शन का मंचन किया। राजा जनक के राज में सूखा पड़ गया। जनता भूख से तड़प रही थी लेकिन उनके मंत्री राजा से कह रहे थे कि आनंद ही आनंद है। जन समस्याओं के निराकरण के लिए राजा जनक ने स्वयं हल चलाया और सीता रूपी कन्या रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद कलाकारों ने मंचन को आगे बढ़ाते हुए पुष्प वाटिका व जनकपुरी के मीना बाजार में श्रीराम व लक्ष्मण के भ्रमण की लीला का मंचन किया गया। भगवान श्रीराम व लक्ष्मण जनकपुरी के मीना बाजार का भ्रमण किया। इसके बाद पुष्प वाटिका की लीला हुई। अयोध्या नरेश दशरथ के दोनों राजकुमार श्रीराम-लक्ष्मण को साथ लेकर ऋषि विश्वामित्र जनकपुरी पहुंचते हैं। दोनों की भोली सूरत देख नगर के नर-नारी मोहित हो जाते हैं। वे आपस में बात करते हैं कि ऋषि के साथ ये अति सुंदर राजकुमार किस देश से आए हैं। नगर के नर-नारियों में श्रीराम, लक्ष्मण के बारे में जानने की इच्छा जागृत होती है। श्रीराम-लक्ष्मण जब मीना बाजार में घूमते हैं, तो नगरवासी उन्हें घेर लेते हैं और हंसी-ठिठोली करते हैं। फुलवारी मंचन के क्रम में कलाकारों ने दर्शाया कि श्रीराम, लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के चरणों की सेवा कर विश्राम करते दिखाई देते हैं। विश्वामित्र राम को आज्ञा देते हैं कि पूजा के लिए ताजे फूलों की आवश्यकता है, तुम पुष्प वाटिका से पुष्प ले आओ। तब गुरु की आज्ञा पाकर वे पुष्प वाटिका जाते हैं। उधर, गौरी पूजन के लिए सीता सखियों के साथ पूजा के फूल लेने पुष्प वाटिका पहुंचती हैं। सीता जी, श्रीराम को देखते ही मोहित हो जाती हैं। इसके बाद वे गौरी पूजन के लिए पहुंचती हैं। जहां मां गौरी से मन ही मन भगवान श्रीराम को पति के रूप में पाने की कामना करती हैं। मंचन में आगे कलाकार मीना बाजार का दृश्य दिखाते हैं, जिसमें सजे सुंदर मीना बाजार में बर्तन, कपड़े, फल तथा विभिन्न प्रकार की मिठाइयों की दुकानें लगी थीं। श्रीराम-लक्ष्मण ने इन सभी दुकानों पर एक-एक करके भ्रमण किया और अपनी पसंद के कपड़े पसंद किए और मिठाइयां भी चखीं।