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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले पति को आजीवन कारावास, ससुर दोषमुक्त

आजमगढ़। विवाहिता की हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने आरोपी पति को आजीवन कारावास तथा दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपी ससुर को दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर-2 सौरभ सक्सेना ने मंगलवार को सुनाया।

मुकदमें के अनुसार वादी छोटेलाल पुत्र विश्वंभर निवासी बागबहार थाना पवई की पुत्री रीना की शादी चंद्रदेव पुत्र रामदुलार निवासी कटार थाना फूलपुर के साथ हुई थी। शादी के बाद दहेज को लेकर रीना का ससुराल में उत्पीड़न होने लगा। ससुराल वाले आए दिन रीना को मारते पीटते थे। वादी छोटेलाल को 27 जून 2016 को सूचना मिली कि ससुराल में रीना की जलाकर हत्या कर दी गई है। जब वादी मुकदमा विश्वंभर रीना की ससुराल कटार पहुंचा तो पता चला कि लोग अंतिम संस्कार के लिए कुंवर नदी के किनारे गए हैं। इसके बाद वादी मुकदमा नदी पर पहुंचा तो ससुराल के लोग अधजली लाश छोड़कर भाग गए। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद पति चंद्रदेव तथा ससुर रामदुलार के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित कर दिया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता छोटेलाल, नरेंद्र कुमार त्रिपाठी, अंकुश, विवेचक अजीत सिंह, विवेचक अनिल चंद तिवारी तथा हेड कांस्टेबल अमरनाथ को बतौर साक्षी न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी पति चंद्रदेव को आजीवन सश्रम कारावास तथा दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं ससुर को साक्ष्य के आभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। बचाव पक्ष की तरफ से वंश गोपाल सिंह एडवोकेट ने पैरवी की।