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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: दशहरे में अच्छे कारोबार की उम्मीद से मूर्तिकार हर्षित

मां दुर्गा की प्रतिमाओं को भव्य रूप देने में जुटे

आजमगढ़। नवरात्र शुरू होने में एक माह से भी कम का समय शेष रह गया है। ऐसे में मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। रानी की सराय कस्बा में बंगाल के मूर्तिकार पिछले 35 साल से काम कर रहे हैं। दुर्गा मूर्ति की स्थापना के लिए समितियों की ओर से मूर्तियों की बुकिंग भी प्रारंभ हो गई है। हालांकि इस बार मूर्तियों पर भी महंगाई की मार है। पर्व की रौनक लौटने से दो साल से कोरोना की मार झेल रहे रानी की सराय के मूर्तिकारों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। कलाकारों का कहना है कि अबकी बार नवरात्रि में जगह-जगह मूर्ति की स्थापना की जाएगी। इसे लेकर मूर्ति की बुकिंग पहले से शुरू हो गई है।
पिछले दो साल से कोरोना महाकारी के चलते प्रदेश सरकार ने मूर्तियां स्थापित करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि पिछली बार छोटी-छोटी मूर्तियां लगाने के आदेश थे लेकिन उनसे उनके रोजी-रोटी पर संकट आ गया। लेकिन अबकी बार इस तरह की कोई रोट-टोक नहीं है। 26 सितंबर से नवरात्र पर्व शुरू हो रहा है। इस कारण कलाकार मूर्ति को आखिरी रूप देने में जुटे हुए हैं। मूर्तियां स्थापित करने वाले भक्तगण इनके पास पहुंचकर पहले से ही मूर्ति की बुकिंग कर रहे हैं। मूर्तिकार बी पाल का कहना है कि दो साल से उनका धंधा पूरी तरीके से बंद हो गया था। हालांकि पिछली बार छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर बेंची गई लेकिन कमाई नहीं हो सकी। जिससे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इस बार जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौटी है। इससे उनका बिजनेस शुरू हो गया है। वहीं कुछ कलाकारों का मानना है कि कड़ी मेहनत के बावजूद हमें मनमाफिक रकम मिलने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। क्योंकि इन दो सालों में महंगाई भी बहुत बढ़ गई है और भक्तगण आज भी पुरानी ही कीमत दे रहे हैं। मूर्तिकार बी पाल ने बताया कि 37 साल से वह यहीं मूर्ति बनाकर बेचते हैं।

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मूर्ति से लेकर पोशाक पर भी महंगाई का असर 

आजमगढ़। मूर्तिकार बी पाल ने बताया कि मूर्तियों को तैयार करने में उपयोग आने वाली कच्ची सामग्रियों की कीमतें बढ़ी हैं। वे हर वर्ष मां दुर्गा व गणेश समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं। इस वर्ष मूर्ति की कीमत में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मूर्ति निर्माण सामग्री रस्सी, लकड़ी का बत्ता, मिट्टी, पैरा, पेंट व मजदूरी में बढ़ोत्तरी हुई। जिसके कारण मूर्ति की कीमत पर असर पड़ेगा। प्रमुख रूप से रंग, अभ्रक, रंगीन कपड़ों की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही पहले निर्माण सामग्री यहीं मिल जाता था। लेकिन अब मूर्ति निर्माण के लिए सामग्री को बाहर से मंगाना पड़ता है। इसके कारण मूर्तियों की कीमतों में भी इजाफा करना पड़ा है। हर साल इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं।