MP-MLA कोर्ट ने कहा- एक्ट लगाने वाले थानाध्यक्ष पर हो कार्रवाई
आजमगढ़। वाराणसी में सोमवार को MP-MLA
कोर्ट ने घोसी के बसपा सांसद अतुल राय और राहुल सिंह को गैंगस्टर केस से
भी दोषमुक्त कर दिया। 6 दिन पहले उन्हें सिपाही पर जानलेवा हमले और उसके
पहले रेप के आरोप में कोर्ट ने बरी किया था। प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल
में बंद अतुल राय को साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने
दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया।
वही,
कोर्ट ने जंसा थाने के पूर्व थानाध्यक्ष रमेश प्रसाद द्वारा लापरवाही
पूर्ण विवेचना करने के चलते प्रदेश सरकार को विभागीय कार्रवाई करने का आदेश
दिया है। MP-MLA कोर्ट सियाराम चौरसिया की अदालत ने रोहनिया थाने के
गैंगस्टर एक्ट के मामले में आरोपी बनाए गए घोसी सांसद अतुल कुमार सिंह उर्फ
अतुल राय और ईसीपुर, बड़ागांव निवासी राहुल सिंह को बरी कर दिया। अदालत
में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव और दिलीप श्रीवास्तव ने पक्ष
रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार, साल 2009 में तत्कालीन रोहनिया थानाध्यक्ष
सीयाराम चौधरी अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। उसी दौरान उन्हें सूचना
मिली कि कंचनपुर, मंडुवाडीह निवासी अतुल राय और मंडुवाडीह के राहुल सिंह का
एक संगठित गिरोह चला रहे हैं। ये लोग अपने गैंग के सदस्यों को आर्थिक और
भौतिक लाभ दिलाने के लिए समाज विरोधी क्रिया-कलापों में लिप्त रहते हैं।
उनकी दहशत के चलते कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ गवाही देने के लिए लिए तैयार
नहीं होता।
2009 में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज किया था मुकदमा
उनके
खिलाफ थानों में हत्या और हत्या के प्रयास सहित कई मामले दर्ज है। इसके
बाद घोसी सांसद अतुल राय और राहुल सिंह के खिलाफ रोहनिया थाने में गैंगस्टर
एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी
गई कि गैंगस्टर एक्ट के मामले में जिलाधिकारी की सहमति आवश्यक है।जबकि,
तत्कालीन रोहनिया थानाध्यक्ष ने अदालत में आरोप पत्र भेजने से पहले
जिलाधिकारी की संस्तुति नहीं ली। साथ ही गैंग चार्ट में जिन मुकदमों का
जिक्र किया गया है उसमें अधिकतर मामलों में अतुल और राहुल बरी हो चुके हैं।
कार्रवाई करने के लिए गृह सचिव को भेजा निर्देश
बचाव
पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने तत्कालीन थानाध्यक्ष रोहनिया
सीताराम चौधरी और थानाध्यक्ष जंसा रमेश प्रसाद को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने
लापरवाही पूर्ण विवेचना करने के संबंध में उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई
का आदेश दिया और निर्णय की एक प्रति उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को भी
भेजने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आरोपियों को बरी कर दिया।