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खास खबर

सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर एकता यात्रा निकाली गई

हा​थों में तिरंगा लेकर आमजन हुए शामिल लगाए भारत माता की जय के नारे आजमगढ़। भारतीय जनता पार्टी द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला के तहत सदर विधानसभा क्षेत्र में एकता यात्रा निकाली गई। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अखिलेश मिश्रा गुड्डू के नेतृत्व में यह पदयात्रा एसकेपी इंटर कॉलेज से प्रारंभ होकर पहाड़पुर, तकिया, चौक, अग्रसेन चौराहा, कलेक्ट्रेट चौराहा होते हुए अम्बेडकर पार्क पहुंचकर संपन्न हुई। यात्रा में बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता, छात्र और आमजन हाथों में तिरंगा लिए शामिल हुए। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर लोगों द्वारा पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष ध्रुव सिंह तथा मुख्य अतिथि प्रदेश महामंत्री संजय राय उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि संजय राय ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती 31 अक्टूबर को पूर्ण हुई है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने कांग्रेस के सदस्य के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। आजादी के बाद देश 562 रियासतों में...

कानपुर: शव के साथ डेढ़ साल: मुर्दे के इलाज में खर्च कर डाले 30 लाख रुपये

कानपुर। मां की ममता, पिता की आस और पत्नी का प्यार इस कदर अंधविश्वास में बदल गया कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि विमलेश (35) अब इस दुनिया में नहीं रहा। इसी अंधविश्वास का फायदा उठाया दो निजी अस्पतालों और एक झोलाछाप ने, डेढ़ साल के दौरान इन लोगों ने मुर्दे के इलाज के नाम पर घर वालों के 30 लाख रुपये खर्च करा डाले। इंजेक्शन और ग्लूकोज चढ़ाते रहे और रुपये वसूलते रहे।

  विमलेश के पिता रामऔतार ने बताया कि 22 अप्रैल के बाद से करीब डेढ़ माह तक शहर से लेकर पीजीआई तक के डॉक्टरों से संपर्क किया। इस दौरान कई प्रतिष्ठित और निजी अस्पताल में विमलेश को लेकर गए। कहीं कोरोना तो कहीं हॉस्पिटल में जगह न होने का हवाला देकर अस्पताल के भीतर ही नहीं घुसने दिया गया।  इस दौरान कल्याणपुर और बर्रा के निजी अस्पतालों ने बाकायदा विमलेश को भर्ती किया और इलाज भी किया। मोटी रकम वसूलने के बाद छुट्टी कर दी। तब परिवार वालों ने झोलाछाप से संपर्क किया। वह घर आकर विमलेश का इलाज करने लगा। भाई दिनेश ने बताया कि पिछले साल 19 अप्रैल को उन्होंने सबसे पहले विमलेश को बिरहाना रोड स्थित मोती हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। 22 अप्रैल तड़के करीब चार बजे अस्पताल प्रशासन ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच अस्पताल प्रबंधन ने चार दिन में उनसे नौ लाख रुपये जमा कराए थे। रुपये जमा करने के बाद विमलेश के शव के साथ मृत्यु प्रमाणपत्र दिया था। अंतिम यात्रा के दौरान विमलेश की धड़कन चलने का एहसास हुआ, तभी से उसका इलाज कराते रहे। भाई मनोज का दावा है कि झोलाछाप के कहने पर वह कई बार ऑक्सीजन सिलिंडर घर लेकर आए थे। यहां तक कोरोना काल के समय एक लाख रुपये देकर एक ऑक्सीजन सिलिंडर खरीदा था। सिलिंडर में करीब चार लाख रुपये खर्च हुए थे। सात अक्तूबर के बाद से विमलेश को सिलिंडर नहीं लगा। परिजनों का दावा है कि झोलाछाप ने भी घर में इलाज करने के नाम पर उनसे लाखों रुपये वसूले। यहां तक कि कई रेमडेसिविर इंजेक्शन भी खरीदकर लाए। झोलाछाप इन इंजेक्शन को लगाने का दावा करता रहा। छह माह इलाज के बाद झोलाछाप ने विमलेश की नस न मिलने का दावा करते हुए इलाज से इनकार कर दिया था। मां का कहना था कि वह पहले बेटे को नहलाती थी, लेकिन बाद में सिर्फ गंगाजल से पोछने लगी थी। बेटे के साथ-साथ कमरे में साफ सफाई रखती थी। उनके बेटे की धड़कन और दिमाग चल रहा था। उसके सिर के एक बाल भी नहीं टूटे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा नहीं रहा। 

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