राजधानी सहित आगरा, वाराणसी, मथुरा के धार्मिक स्थल
आजमगढ़। स्वतंत्रता दिवस से पहले
आजमगढ़ से ISIS आतंकी सबाउद्दीन आजमी को यूपी ATS ने गिरफ्तार किया है। जांच
में सामने आया कि सबाउद्दीन की तिरंगा यात्रा पर हमले की साजिश थी।
इंट्रोगेशन में ISIS आतंकी सबाउद्दीन ने कई राज खोले हैं। सबाउद्दीन भले ही
गिरफ्त में हैं, लेकिन उससे जुड़े लड़के अभी भी बाहर हैं। ऐसे में यूपी
एटीएस चौकन्नी है।
एटीएस
को आशंका है कि सबाउद्दीन इकलौता नहीं था। उसकी तरह ही स्लीपर सेल में और
लड़के होंगे, जो एक्टिव होने पर खतरा बन सकते हैं। इसलिए, ATS आजमगढ़ से लेकर
कश्मीर तक सर्च ऑपरेशन चला रही है। पुलिस मुख्यालय ने यूपी में तिरंगा
यात्रा के साथ प्रमुख धार्मिक स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के डायरेक्शन दिए
हैं। आतंकियों के निशाने पर तिरंगा यात्रा के साथ लखनऊ, आगरा, वाराणसी और
मथुरा के धार्मिक स्थल हैं।
पढ़िए क्या आतंकी साजिश रची जा रही थी...
सबाउद्दीन का मकसद, अपने जैसे और लड़के तैयार करना
सबाउद्दीन
ने सबाहु, दिलावर खान, बैरम खान व आजर के नाम से भी सोशल मीडिया पर अपनी
पहचान बना रखी थी। ये भी सामने आया है कि सबाउद्दीन असदुद्दीन ओवैसी की
पार्टी आल इंडिया मजलसि-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन यानी AIMIM से भी जुड़ा हुआ
था। पार्टी के नाम पर युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा था। मकसद आतंकी गतिविधियों
में इन लड़कों को जोड़ना था। उसके पास से करीब 25 से ज्यादा लड़कों के
मोबाइल नंबर मिले हैं।
15 अगस्त तक रिमांड पर लेंगे, स्लीपर सेल की तलाश तेज
ATS
सबाउद्दीन को 15 अगस्त के बाद रिमांड पर लेकर नए सिरे से पूछताछ करने की
तैयारी कर रही है। ATS और सुरक्षा एजेंसी आजमगढ़, कानपुर, बाराबंकी, लखनऊ,
देवबंद, सहारनपुर, मथुरा, आगरा और वाराणसी में स्लीपर सेल के नेटवर्क को
तलाश रही है। फिलहाल, संवेदनशील शहरों के धार्मिक स्थल पर PAC की 150 कंपनी
तैनात की गईं हैं।
RSS के नाम से जाली मेल आईडी बनाई थी
आजमगढ़
के मुबारकपुर के गांव अमिलो में सबाउद्दीन रहता था। वो सोशल मीडिया के
जरिए ISIS के आतंकियों के सीधे संपर्क में था। ATS ने उसके कब्जे से बम
बनाने के उपकरण भी बरामद किए थे। वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS के
नेताओं से संपर्क का प्रयास कर रहा था। इसके पीछे इरादा क्या था, ये अभी
सामने नहीं आया है। सबाउद्दीन ने RSS के नाम से जाली मेल आईडी बनाई थी।
सीरिया के आतंकी अबू बकर के संपर्क में था सबाउद्दीन
सबाउद्दीन
से पूछताछ में सामने आया है कि वो सीरिया के आतंकी अबू बकर के संपर्क में
था। ये लोग लड़कों को वीडियो भेजकर उन्हें कट्टर बना रहे हैं। फिर ऑनलाइन ही
कुछ बड़े आतंकियों से बात कराकर संगठन के मकसद पूरा करने में जान देने की
कसम दिलाई जा रही थी।
इस दौरान इन्हें ये सिखाया गया था कि अपनी पहचान
छिपा करके किसी तरह रेकी की जाती है? कुकर बम कैसे बनाया जाता है? पहचान
छिपाकर किस तरह धमाका करना है? ट्रेनिंग के बाद वो खामोशी से रहकर बड़े
धमाके की योजना बना रहा था। इन्हें पहले एक से दो साल तक स्लीपर सेल की तरह काम कराया जाता है। फिर सक्रिय रूप से आतंकी गतिविधियों से जोड़ा जाता है।