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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: मुंशी प्रेमचंद को जयंती पर वेदांता इंटरनेशनल स्कूल ने दी श्रद्धांजलि

बच्चों ने पोस्टर बनाकर मुंशी जी के जीवन से कराया परिचय

आजमगढ़। वेदांता इंटरनेशनल स्कूल में रविवार को हिंदी साहित्य के पितामह, कलम के सिपाही और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद उर्फ़ धनपत रॉय की 142वीं जयंती मनाई गई। इस दौरान बच्चों ने पोस्टर बनाकर मुंशी जी के जीवन परिचय से लोगों को अवगत कराया। प्रिंसिपल आरएस शर्मा ने प्रेमचंद के जीवन और साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला। कहा कि मुंशी जी ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने पूरी शती के साहित्य का मार्गदर्शन किया।
उनका लेखन हिंदी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिंदी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी संपादक थे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबंध, साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। इस दौरान कक्षा आठवीं के विद्यार्थीयों में ज़ैनब फातिमा, अंशिका सिंह, अनुष्का धवल, रीतिका, नैंसी, रोली, उत्कर्ष, अर्पित, स्वरीत् और गोबिंद यादव इत्यादि ने शिरकत की। विद्यालय के प्रबंधक निदेशक शिव गोविंद सिंह ने बच्चों को अपने साहित्यिक पुरोधा के प्रति ऐसी उत्कृष्ठ भावों की रखने उन्हें याद करने का यह नायाब तरीके की प्रशंसा की।