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खास खबर

ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: बंदरों के झुंड को देख भागा व्यक्ति, छत से गिरा, मौत


मृतक के ‌परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल

हादसे के बाद कस्बावासियों में दहशत

आजमगढ़। जिले में इस वक्त बंदरों ने आतंक मचा रखा है। ताजा घटना में बंदरों के झुंड को देखकर भागे एक व्यक्ति की छत से गिरकर मौत हो गई। हादसे के बाद से लोगों में दहशत है। जिले के सरायमीर कस्बा के गड़वा मुहल्ला निवासी अशोक कुमार 45 वर्ष पुत्र स्व. बंधन शनिवार को शाम पांच बजे के करीब घर की छत पर टहल रहे थे, तभी बंदरों का झुंड आ गया। बंदरों को काफी संख्या में देख वह डर गए और भागने लगे। इस दौरान उनका संतुलन बिगड़ा और छत पर बारजा न होने के कारण नीचे जा गिरे। जिससे अशोक गंभीर रूप से घायल हो गए। परिवार के लोग अशोक को उपचार के लिए स्थानीय किसी डाक्टर के पास ले गए। लेकिन हालत गंभीर होने पर वे आजमगढ़ में डा. दानिश के अस्पताल ले गए। जहां देर रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतक के दो पुत्र हैं। अशोक की मौत से परिजनों में कोहराम मचा है। 

बंदरों के आतंक से लोग पिंजरेनुमा घर में रहने को मजबूर

आजमगढ़। जिले में बंदरों के आतंक से हर कोई परेशान है, लोगों को अपने ही घरों की बाल‌कनियों और छतों पर टहलने में डर लगता है कि कहीं से कोई बंदर आकर उन्हें काट न लें। इससे बचने के लिए अपने घरों को पिंजरे जैसा बनवाने को मजबूर हैं।बताते चलें कि जिले का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं हैं जहां बंदरों ने आतंक न मचा रखा हो। आलम यह है कि अब लोग पिंजरेनुमा घर बनवाने को मजबूर हैं। शहर से लेकर गांव तक बंदरों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उत्पाती बंदर दिनभर मकान की छतों पर डेरा डाले रहते हैं। ऐसे में लोगों का अपने घर की बालकनियों और छतों पर टहलना मुश्किल हो रहा है। बंदरों के चलते अब लोगों की जान सांसत में पड़ गई है। लेकिन शासन के पास इनसे छुटकारा दिलाने के लिए कोई बजट और न ही प्लान है। प्रशासन और नगरपालिका की खामोशी से लोगों में गुस्सा है।