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ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा

 ई-रिक्शा चालकों की मनमानी, क्षमता से अधिक बैठा रहे सवारी, हादसे का बढ़ा खतरा रानी की सराय। सुगम यातायात में बाधक बन रहे ई-रिक्शा, यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बनने लगे हैं। क्षमता से अधिक सवारी बैठा तेज रफ्तार से चल रहे हैं। आए दिन ई-रिक्शा के पलटने पर यात्रियों के घायल होने की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस और यातायात विभाग पर इन पर कार्रवाई को लेकर उदासीन बना है।   शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा का संचालन होता है। नियमों को धता बताते हुए अधिकांश ई-रिक्शा क्षमता से अधिक यात्रियों को ढो रहे हैं।  रानी की सराय में यातायात नियमों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। कस्बा में  एक ई-रिक्शा चालक ने सीमा से अधिक सवारियां बैठाई। जिसमें लगभग 11 सवारियां अंदर बैठी हैं।   ई-रिक्शा चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना से सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ रहा है। ई-रिक्शा चालक क्षमता से अधिक सवारियां और सामान ले जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि चालक रिक्शा की छत पर भी यात्रियों को बैठा रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून के विरुद्ध है, बल्कि यात्रियों की जान को भ...

Azamgarh: वनवसा और शारदा बैराज से छोड़ गए पानी से सरयू उफान पर


डिघिया नाले पर जलस्तर खतरा निशान से 79 सेमी दूर
बांका और बूढ़नपट्टी में प‌ुलिया डूबने से आवागमन में परेशानी

आजमगढ़। सगड़ी तहसील के उत्तरी हिस्से में बहने वाली सरयू नदी का जलस्तर शुक्रवार को भी उफान पर रहा। गुरुवार को 17 तो शुक्रवार को 12 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई। डिघिया नाले के पास जलस्तर खतरा निशान से मात्र 79 सेमी दूर है। उर्दिहा व गांगेपुर परिसया के पास कटान जारी रही। बांका और बूढ़नपट्टी के बीच बनी पुलिया अभी भी डूबी होने से एक दर्जन गांवों के लोगों का आवागमन प्रभावित हो रहा है। लखीमपुर के वनवसा और शारदा बैराज से अब तक लगभग छह लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जलस्तर में उफान देखा जा रहा है। इससे तटवर्ती क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। उर्दिहा में कृषि भूमि के साथ शवदाह स्थल का प्लेटफार्म दो दिन पहले ही धारा में विलीन हो चुका है। अब प्रतीक्षालय के नजदीक कटान तेज होने से उस पर भी खतरा बढ़ गया है। गांगेपुर मठिया रिंग बांध के पश्चिम गांगेपुर परसिया के पास भी कटाने की गति बढ़ी है। उधर, रिंग बांध को बचाने के लिए साल भर पहले शुरू हुआ तीन ठोकरों का निर्माण इस बार भी पूरा न होने से आसपास के ग्रामीण विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं।